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    Chhath Puja 2023: क्या है संध्या अर्घ्य ? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 10:49 AM (IST)

    Chhath Puja 2023 आज छठ का तीसरा दिन है जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते सूर्य को यानी उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। आज हम संध्या अर्घ्य को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें आपके साथ साझा करेंगे जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।

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    Chhath Puja 2023: छठ पूजा विधि और समय

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ पूजा का पर्व सनातन के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिवसीय शुभ अवसर 17 नवंबर से शुरू हो चुका है और 20 नवंबर को समाप्त होगा। यह दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन साधक छठी माता और भगवान सूर्य की उपासना करते हैं और अपने परिवार और बच्चों के लिए उनका आशीर्वाद और समृद्धि मांगते हैं।

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    आज छठ का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, और अंतिम दिन उगते सूर्य को यानी उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। आज हम संध्या अर्घ्य को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें आपके साथ साझा करेंगे, जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।

    क्या है संध्या अर्घ्य ?

    रविवार 19 नवंबर यानी आज छठ पूजा का तीसरा दिन मनाया जाएगा। इस दिन भक्त संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के पारंपरिक अनुष्ठान का पालन करते हैं, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

    त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले छठ प्रसाद की सावधानीपूर्वक तैयारी की जाती है, जिसका काफी ज्यादा महत्व है, जो साधक इस व्रत को सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं उनके घर से हमेशा के लिए दुख और दरिद्रता का अंत हो जाता है।

    संध्या अर्घ्य शुभ मुहूर्त

    सूर्योदय का समय - सुबह 06:49 बजे

    सूर्यास्त का समय- शाम 05:44 बजे

    षष्ठी तिथि- सुबह 07:23 बजे तक

    सप्तमी तिथि - 20 नवंबर, सुबह 05:21 बजे तक

    अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक

    संध्या अर्घ्य विधि

    किसी पवित्र नदी किनारे प्रसाद सामग्री से भरे सूप और बांस की टोकरियों के साथ भगवान सूर्य और छठ माता को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सभी प्रकार के भोजन और पेय पदार्थों से परहेज करते हैं। निर्जला व्रत छठ के चौथे या आखिरी दिन समाप्त होता है, जब सूर्य देव और छठी माता को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के आखिरी दिन अर्घ्य के बाद बांस की टोकरियों का प्रसाद सबसे पहले व्रती खाते हैं और फिर अपने परिवार व अन्य लोगों में साझा करते हैं।

    यह भी पढ़ें : Chhath Puja 2023: आज है छठ पूजा का दूसरा दिन, जानें खरना पूजा का धार्मिक महत्व और प्रसाद के नियम

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।