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    Chhath Puja 2023: आज है छठ पूजा का तीसरा दिन, भगवान सूर्य की करें विशेष आरती

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 07:00 AM (IST)

    Chhath Puja 2023 सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। महापर्व छठ के दौरान सूर्य देव (Lord Surya) की पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। अगर आप सूर्य भगवान की कृपा चाहते हैं तो उन्हें अर्घ्य दें और उनकी विशेष आरती सच्चे दिल और समर्पण के साथ करें जो यहां दी गई है।

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    Chhath Puja 2023: सूर्य देव की आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। इस साल इस महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हुई है। वहीं इसका समापन 20 नवंबर को होगा। इस पर्व में भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा का विधान है। ऐसे में इस दौरान सूर्य देव की पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है।

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    अगर आप सूर्य भगवान की कृपा चाहते हैं, तो उन्हें अर्घ्य दें और उनकी विशेष आरती सच्चे दिल और समर्पण के साथ करें, जो यहां दी गई है-

    ''सूर्य देव की आरती''

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ''भगवान सूर्य की दिव्य आरती''

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

    षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

    जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

    निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

    करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

    निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

    हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।