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    Cheti Chand 2024: सिंधी समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है चेटी चंद, जानिए कब मनाया जाएगा यह पर्व

    Updated: Tue, 26 Mar 2024 05:17 PM (IST)

    चेटी चंड पर्व सिंधी समाज के आराध्य देव भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से सिंधी समाज के नववर्ष की शुरुआत भी होती है। यह पर्व हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि चेटी चंड का पर्व साल 2024 में कब मनाया जाएगा।

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    Cheti Chand 2024 कब मनाया जाएगा चेटी चंद?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jhulelal Jayanti 2024: "चैत्र" के महीने को सिंधी में "चेत" कहा जाता है। चेती माह के दौरान चंद्रमा के पहली बार दिखाई देने के कारण इस पर्व को "चेटी चंद" कहा जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार, यह दिन अत्यधिक शुभ माना जाता है और इसे बहुत-ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पर सिंधी लोग जल की पूजा करते हैं। वहीं नए उद्यम शुरू करने के लिए भी इस दिन को बहुत ही शुभ और अनुकूल माना जाता है। चलिए जानते है्ं सिंधी समाज के लिए यह पर्व इतना महत्व क्यों रखता है।

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    चेटी चंड मुहूर्त (Cheti Chand Shubh Muhurat)

    चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 09 अप्रैल रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में चेटीचंड का पर्व 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा-

    चेटी चंड मुहूर्त - शाम 06 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 29 मिनट तक

    यह भी पढ़ें -  April 2024 Shubh Muhurat: गृह प्रवेश से लेकर विवाह मुहूर्त तक, यहां पढ़िए अप्रैल में आने वाले शुभ दिन की सूची

    चेटीचंड का महत्व

    सिंधी समाज के ईष्टदेव, संत झूलेलाल को वरुण देवता का ही अवतार माना जाता है। सिंधी समाज की मान्यताओं के अनुसार, सिंधियों के संरक्षक संत भगवान झूलेलाल का जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुरा नामक दमनकारी शासक सिंधी समाज के लोगों पर इस्लाम अपनाने का दबाव बना रहा था।

    तब सिंधियों ने जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए नदी देवता से प्रार्थना की। इसके बाद वरुण देवता ने संत झूलेलाल के रूप में जन्म लेकर सिंधी लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त करवाया। विशेष दिन पर भगवान झूलेलाल की पूजा की जाती है और पारम्परिक नृत्य और लोक कलाओं के माध्यम से यह पर्व मनाया जाता है।

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    Picture Credit: Freepik