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    4 महीनों तक रहेगा Chaturmas, जानें इस दौरान क्या करें और क्या न करें?

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन से चातुर्मास का शुभारंभ हो जाता है। चातुर्मास की अवधि जगत के पालनहार भगवान विष्णु का शयन काल होती है। इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए कार्य का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में आइए जानते हैं चातुर्मास में किन कार्यों को करने से बचना चाहिए?

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 03 Jul 2024 12:03 PM (IST)
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    Chaturmas 2024: देवशयनी एकादशी से शुरू होता है चातुर्मास।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Se Hai Chaturmas 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इन 4 महीनों तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। चातुर्मास में सृष्टि का संचालन भगवान शिव ही करते हैं।

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    चातुर्मास में क्या करें?

    • चातुर्मास में श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान कर सकते हैं।
    • इसके अलावा गीता, सुंदरकांड, रामायण का पाठ करना कल्याणकारी होता है।
    • पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। साथ ही श्री हरि के मंत्रों का जप करना चाहिए।
    • पीपल का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है।
    • पूजा-पाठ और मंत्र जप का खास महत्व है। वहीं, सावन के महीने में महादेव की पूजा की उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
    • चातुर्मास में एक ही जगह पर रहकर जप और तप करने का विधान है।

    चातुर्मास में क्या न करें?

    • चातुर्मास माह में तामसिक चीजें जैसे- मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • किसी इंसान के प्रति मन में गलत विचार धारण नहीं करने चाहिए।
    • बड़े बुर्जुगों और महिलाओं का अपमान न करें।
    • इसके अलावा विवाह, सगाई, मुंडन और शुभ कार्य करना वर्जित है।

    कब से कब तक है चातुर्मास 2024?

    शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस बार चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई 2024 से होगी। वहीं, इसका समापन 12 नवंबर 2024 को होगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।