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    Ganesh Mantra: बुधवार के दिन करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, दूर होंगे सभी दुख और संताप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 05:34 PM (IST)

    ज्योतिष कुंडली में बुध मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। बुधवार के दिन भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करने से बुध ग्रह दोष दूर होता है। अतः साधक विशेष कार्यों में सिद्धि पाने हेतु विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।

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    Ganesh Mantra: बुधवार के दिन करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, दूर होंगे सभी दुख और संताप

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganesh Mantra: सनातन धर्म में बुधवार के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। ज्योतिष कुंडली में बुध मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। बुधवार के दिन भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करने से बुध ग्रह दोष दूर होता है। अतः साधक विशेष कार्यों में सिद्धि पाने हेतु विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय इन चमत्कारी मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए, मंत्र जाप करें-

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1.

    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥.

    2.

    त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

    नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

    3.

    गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

    नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

    धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

    गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

    4.

    ॐ एकदन्ताय विद्धमहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।

    5.

    ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥

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    6.

    ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

    7.

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    8.

    ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    9.

    गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    10.

    दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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