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    Ashadha Amavasya 2023: पाना चाहते हैं कालसर्प दोष से निजात, तो आषाढ़ अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sat, 17 Jun 2023 06:59 PM (IST)

    Ashadha Amavasya 2023 धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए समस्त पाप कट जाते हैं। वहीं पूजा जप तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

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    Ashadha Amavasya 2023: पाना चाहते हैं कालसर्प दोष से निजात, तो आषाढ़ अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Ashadha Amavasya 2023: सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है। पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस प्रकार 18 जून को आषाढ़ अमावस्या है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए समस्त पाप कट जाते हैं। वहीं, पूजा, जप, तप और दान करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर पितरों की भी पूजा की जाती है। इससे पितृ प्रसन्न होकर जातक को सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या तिथि पर कालसर्प दोष और पितृ दोष के निवारण का भी विधान है। अगर आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं, तो आषाढ़ अमावस्या तिथि पर इन मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों के जाप से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है। आइए, कालसर्प दोष निवारण के मंत्र जानते हैं-

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    नाग स्तोत्र

    अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।

    सुमन्तुजैमिनिश्चैव पञ्चैते वज्रवारका: ॥

    मुने: कल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चापि कीर्तनात् ।

    विद्युदग्निभयं नास्ति लिखितं गृहमण्डल ॥

    अनन्तो वासुकि: पद्मो महापद्ममश्च तक्षक: ।

    कुलीर: कर्कट: शङ्खश्चाष्टौ नागा: प्रकीर्तिता: ॥

    यत्राहिशायी भगवान् यत्रास्ते हरिरीश्वर: ।

    भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा ॥

    नाग मंत्र

    ॐ नागदेवताय नम:

    ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।

    नाग गायत्री मंत्र

    ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात

    कालसर्प दोष मंत्र

    ॐ क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा || सर्प मंत्र ||

    ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम:

    राहु मंत्र

    ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा । कयाशश्चिष्ठया वृता ।

    ऊँ ऐ ह्रीं राहवे नम:

    ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

    ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम: |

    केतु मंत्र

    “ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”।

    “ॐ पलाश पुष्प सकाशं तारका ग्रह मस्तकम्।

    रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्” ।।

    केतु गायत्री मंत्र

    “ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात्” ।।

    “ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्य्याऽपेशसे। समुषभ्दिरजायथाः”।।

    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '