Shri Krishna Mantra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, कट जाएंगे सारे दुख
Shri Krishna Mantra बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीजी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान गणेश की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरण और चरण में रहने वाले साधकों को सांसारिक दुखों से तत्काल ही मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उनके जीवन में आनंद और मंगल का आगमन होता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shri Krishna Mantra: बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीजी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही बुधवार के दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरण और चरण में रहने वाले साधकों को सांसारिक दुखों से तत्काल ही मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उनके जीवन में आनंद और मंगल का आगमन होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा भक्ति करते हैं। अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप और कृष्णाष्टकम् का पाठ अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से सारे दुख कट जाते हैं। आइए, मंत्र जाप करते हैं -
श्री कृष्ण जी के मंत्र
ॐ कृष्णाय नमः
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
कृष्ण गायत्री मंत्र
“ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय
धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”
सुख-समृद्धि हेतु मंत्र
‘ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय’
धन प्राप्ति हेतु मंत्र
कृं कृष्णाय नमः
सफलता प्राप्ति मंत्र
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
बाधा दूर करने हेतु मंत्र
हे कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।
आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन।।
रोग नाशक मंत्र
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।
सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
श्री कृष्णाष्टकम्
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम् ।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,
अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम् ॥
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं,
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् ।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं,
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम् ॥
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं,
व्रजाङ्गनैकवल्लभं नमामि कृष्ण दुर्लभम् ।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम् ॥
सदैव पादपङ्कजं मदीयमानसे निजं
दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं,
समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् ॥
भुवोभरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं,
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् ।
दृगन्तकान्तभङ्गिनं सदासदालसङ्गिनं,
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम् ॥
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं,
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम् ।
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलंपटं,
नमामि मेघसुन्दरं तटित्प्रभालसत्पटम् ॥
समस्तगोपनन्दनं हृदंबुजैकमोदनं,
नमामि कुञ्जमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम् ।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं,
रसालवेणुगायकं नमामि कुञ्जनायकम् ॥
विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं,
नमामि कुञ्जकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम् ।
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा,
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् ॥
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान् ।
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान् ॥
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