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    Durga Mantra: नवरात्रि के आठवें दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, विशेष कार्य में प्राप्त होगी सिद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 26 Jun 2023 09:38 AM (IST)

    Maa Durga Mantra धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के दर्शन मात्र से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मां दुर्गा की कृपा-दृष्टि भक्तों पर सदैव बरसती है। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा-उपासना करते हैं।

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    Durga Mantra: नवरात्रि के आठवें दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, विशेष कार्य में प्राप्त होगी सिद्धि

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Maa Durga Mantra: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन जगत जननी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की जाती है। साधक मनोकामना पूर्ति हेतु मां के निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। अतः अष्टमी तिथि पर प्रातः काल से श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-उपासना हेतु मंदिर पहुंचने लगते हैं। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के दर्शन मात्र से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मां दुर्गा की कृपा-दृष्टि भक्तों पर सदैव बरसती है। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी जगत जननी की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। आइए, मंत्र जानते हैं-

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    इन मंत्रों का करें जाप

    आह्वान मंत्र

    ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    मां दुर्गा मंत्र

    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    भय दूर करने हेतु मंत्र

    सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।

    भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥

    पाप मिटाने हेतु दुर्गा मंत्र

    हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

    सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

    संकट मुक्ति हेतु मंत्र

    शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

    सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

    बीमारी से रक्षा हेतु मंत्र

    रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

    त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

    पुत्र प्राप्ति हेतु मंत्र

    देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।

    देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥

    दुख नाशक मंत्र

    जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

    दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

    बल प्राप्ति हेतु मंत्र

    सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।

    गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥

    धन प्राप्ति हेतु मंत्र

    “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

    स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

    दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

    सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥”

    शीघ्र विवाह हेतु मंत्र (लड़की करें)

    ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि ।

    नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥

    शीघ्र विवाह हेतु मंत्र (लड़की करें)

    'हे गौरी शंकरधंगी ! यथा तवं शंकरप्रिया,

    तथा मां कुरु कल्याणी ! कान्तकान्तम् सुदुर्लभं'

    अविवाहित लड़के करें

    पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् ।

    तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ।।

    रक्षा हेतु मंत्र

    शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

    घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

    सौभाग्य प्राप्ति हेतु मंत्र

    देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

    वंदना मंत्र

    नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |

    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

    विश्व कल्याण हेतु मंत्र

    देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |

    तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।