चंद्रदेव ने बनवाया था मंदिर,17 बार किया गया नष्ट
इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। मंदिर के बारे में पूरा उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
गुजरात के सोमनाथ मंदिर का जितना ऐतिहासिक महत्व है, ठीक उतना ही पौराणिक महत्व। इतिहासकारों की मानें तो मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निमाण किया गया।
यह कारण है कि गुजरात के काठियावाड़ में स्थित सोमनाथ मंदिर आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। सोमनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए एक पावन स्थल है इसे शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। मंदिर के बारे में पूरा उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृत्तांत में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया था।
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे फिर गिराया गया। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला जारी रहा।
इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। सोमनाथ मंदिर का उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है।
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