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    Chandra Darshan 2024: सोमवती अमावस्या के बाद इस समय करें चंद्र दर्शन, जीवन में मिलेंगे कई लाभ

    Updated: Tue, 09 Apr 2024 01:28 PM (IST)

    हिन्दू धर्म में चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में चंद्र दर्शन को ज्ञान का प्रतीक माना गया है। चंद्र दर्शन के दौरान चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार चंद्र दर्शन करना और चंद्र देव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सोमवती अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन कब किए जा सकेंगे।

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    Chandra Darshan 2024: सोमवती अमावस्या के बाद इस समय करें चंद्र दर्शन।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chandra Darshan 2024 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। इस साल 08, अप्रैल 2024 को चैत्र माह की अमावस्या पड़ रही है जिसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। सनातन धर्म में जितना महत्व अमावस्या का माना गया है, उतना ही महत्व अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन (Chandra Darshan 2024) का भी माना गया है।

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    चंद्र दर्शन का महत्व (Chandra Darshan Significance)

    धार्मिक ग्रंथों में चंद्र दर्शन को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में चंद्र को मन का कारक माना गया है। चंद्र दर्शन के दौरान चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है। मान्यता है कि अमावस्या के ठीक बाद किए गए चंद्र दर्शन से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। कई जातक इस दिन उपवास भी रखते हैं और रात को चन्द्र दर्शन के बाद चंद्र देव को अर्घ्य देकर ही अपना उपवास खोलते हैं।

    इस समय कर सकेंगे चंद्र दर्शन (Chandra Darshan Shubh Muhurat)

    08 अप्रैल, सोमवार के दिन चैत्र माह की अमावस्या यानी सोमवती को मनाई गई थी। ऐसे में चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09, मंगलवार के दिन को चंद्र दर्शन किए जा सकेंगे। पंचांग के अनुसार, इस दिन शाम 06 बजकर 44 मिनट पर चंद्रोदय होगा और शाम 07 बजकर 29 मिनट पर चंद्रास्त होगा। इस समय में चंद्र दर्शन का अवसर प्राप्त किया जा सकेगा।

    ऐसे करें चंद्र देव की पूजा (Chandra Darshan Puja Vidhi)

    चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन चंद्र दर्शन से पहले स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। शाम के समय हाथ में कोई भी एक फल लेकर चंद्र देव के दर्शन करें। इसके बाद शाम के समय विधिवत रूप से चांद की पूजा करें और इस दौरान ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात मंत्र का जाप करें। इसके बाद चंद्र देव को पुष्प, रोली, फल आदि अर्पित करें। इसके साथ ही देवता को चावल से बनी खीर का भोग भी जरूर लगाएं। अब चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना उपवास खोलें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी