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    Chanakya Niti: पूरी जिंदगी गरीबी में जीते हैं ऐसे लोग, कभी नहीं चख पाते सफलता का स्वाद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 29 Apr 2025 04:39 PM (IST)

    प्राचीन समय में आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti Tips) महान कूटनीतिज्ञ थे। भारत की सीमा के विस्तार में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। उनकी नीतियों का अनुसार कर चन्द्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। अपने जीवन काल में उन्होंने कई प्रमुख रचनाएं की हैं। इनमें एक अर्थशास्त्र भी है।

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    Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य की नीतियों आज भी दुनियाभर में प्रासंगिक हैं। उनके द्वारा रचित नीति शास्त्र का पालन कर सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में सफल हो सकता है। चाणक्य की नीतियों को व्यक्ति अपने करियर और कारोबार में भी अप्लाई कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में सभी विषयों या बिंदुओं पर ध्यान दिया है।

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    आचार्य चाणक्य की रचना नीति शास्त्र के अनुसार 3 तरह के लोग जीवन भर गरीब रहते हैं। लाख कोशिशों के बाद भी व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है। व्यक्ति को दर-दर ठोकर खाना पड़ता है। ऐसे लोग अपने कर्मों से जीवन भर दुखी और परेशान रहते हैं। आइए जानते हैं-

    कौन हैं आचार्य चाणक्य?

    आचार्य चाणक्य को विष्णुगुप्त और कौटिल्य भी कहा जाता है। अखंड भारत के निर्माण में चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्हें भारत का कौटिल्य भी कहा जाता है। चाणक्य ने नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र समेत कई ग्रंथों की रचना की है। गुप्त साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य की भूमिका अहम है।

    मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।

    दु:खिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।।

    नीति शास्त्र के प्रथम अध्याय के चौथे श्लोक में आचार्य चाणक्य ने ज़िंदगी भर गरीब रहने वाले लोगों की चर्चा की है। आचार्य चाणक्य की मानें तो मूर्खों को उदेश देने वाले गुरु हमेशा दुखी रहते हैं। उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता है। मूर्ख शिष्य ज्ञान का गलत इस्तेमाल कर गुरु को दुख देते हैं।

    व्यभिचारी लोग भी जीवन में कभी सुख नहीं पाता है। ऐसे लोगों का जीवन बीमारियों में गुजरता है। बीमारियों से बचाव के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। अतः व्यभिचारी लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। इसके लिए व्यक्ति को चरित्र पवित्र रखना चाहिए। अपनी मर्यादा का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। सनातन शास्त्रों में वर्णन है कि व्यभिचार करने वाले लोगों के वंश का पतन अवश्य ही होता है।

    आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि बुरे कर्म करने वाले लोगों की संगति करने वाले व्यक्ति भी जीवन भर दुखी रहते हैं। ऐसे लोग न केवल स्वयं, बल्कि अपने जानने वाले को भी मुसीबत में डालते हैं। इसके चलते ऐसे लोग अपने जीवन में कभी धनी नहीं बन पाते हैं। इसके साथ ही मानसिक तनाव से भी ग्रस्त रहते हैं। इसके लिए कभी बुरे लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोगों से दूर रहने में ही भलाई है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।