Chanakya Niti: दुष्ट मित्र के साथ रहने से अच्छा सांप को पालना है, जानिए ऐसा क्यों?
Chanakya Niti चाणक्य नीति को सफलता के लिए सबसे अच्छा साधन माना जाता है। जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन अपने जीवन में करता है उसे सदैव सफलता की प्राप्ति ही होती है और वह कई संकटों से दूर सकता है।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chanakya Niti: चाणक्य नीति द्वारा दिए गए ज्ञान को जो व्यक्ति अपने जीवन में अपना लेता है वह सफलता के बहुत निकट पहुंच जाता है। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के माध्यम से कई भटके हुए युवाओं का मार्गदर्शन किया था। वर्तमान समय में भी उनके द्वारा बताई नीतियों का पालन करके कई युवा प्रगति के पथ पर निरंतर चलते जा रहे हैं। बता दें कि आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti in Hindi) की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में होती है। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि व्यक्ति को कैसी संगति में रहना चाहिए और कैसे मित्र बनाने चाहिए। आइए जानते हैं-
दुर्जन व्यक्ति से अच्छा है सांप
दुर्जनेषु च सर्पेषु वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे-पदे ।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि अगर दुष्ट व्यक्ति की तुलना सांप से की जाए तो सांप को अच्छा कहा जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सांप केवल एक बार आपको घाव पहुंचाता है। लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति हर कदम पर आपको हानि पहुंचाने की योजना बनाता है। इसलिए सज्जन व्यक्तियों को कभी भी दुष्ट लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए। यह उनके लिए सांप को पालने से भी अधिक खतरनाक है।
दुष्ट व्यक्ति से न करें मित्रता
दुराचारी च दुर्दृष्टिर्दुराऽऽवासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्र विनश्यति ।।
चाणक्य नीति के श्लोक में आचार्य बता रहे हैं कि सज्जन व्यक्ति को दुराचारी और दुष्ट स्वभाव के लोगों से कभी भी मित्रता नहीं करनी चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों से किसी भी प्रकार का संबंध भी नहीं रखना चाहिए जो दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए हर समय षड्यंत्र रचते हों। इसका प्रभाव कभी ना कभी सज्जन व्यक्ति पर भी पड़ सकता है। इसलिए उनसे शीघ्र अति शीघ्र दूरी बना लेनी चाहिए। क्योंकि ऐसा व्यक्ति विश्वास करने योग्य नहीं होता है।
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