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    Chanakya Niti: चाणक्य नीति में बताया है कि सज्जन व्यक्ति को किन लोगों से तोड़ लेने चाहिए संबंध

    By Shantanoo MishraEdited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 05:27 PM (IST)

    Chanakya Niti चाणक्य नीति में जीवन के कई बहुमूल्य विषयों को आचार्य चाणक्य ने सम्मिलित किया है। चाणक्य नीति की शिक्षा को केवल श्रवण करने से और उनका पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन को पूर्ण रूप से सफल बना सकता है।

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    Chanakya Niti: चाणक्य नीति से जानें किन लोगों से सज्जन व्यक्ति को बना लेनी चाहिए दूरी।

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chanakya Niti: चाणक्य नीति को ज्ञान का भंडार कहा जाता है। इस ज्ञान स्रोत के रचनाकार अर्थात आचार्य चाणक्य की गणना विश्व की श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। बता दें कि चाणक्य नीति ने कई युवाओं का मार्गदर्शन किया है। आज भी आचार्य चाणक्य की महत्वपूर्ण नीतियों को पढ़ा और सुना जाता है। इन नीतियों के माध्यम से जीवन में सफलता आसानी से प्राप्त हो जाती है। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti Quotes in Hindi) न केवल राजनीति, कूटनीति और युद्धनीति में निपुण थे, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र का विस्तृत ज्ञान था। इसलिए उन्होंने जन-जन तक ज्ञान पहुंचाने के लिए इन महत्वपूर्ण नीतियों को चाणक्य नीति में संलिप्त किया। उन्होंने बताया था कि व्यक्ति को किस तरह से अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते है कि स्वार्थी और दुष्ट व्यक्ति का साथ क्यों छोड़ देना चाहिए।

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    चाणक्य नीति ज्ञान (Chanakya Niti in Hindi)

    नैव पश्यति जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति ।

    मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति ।।

    इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि जन्म से अंधा व्यक्ति कुछ नहीं देख सकता है। इसी तरह वासना व क्रोध में चूर व्यक्ति को इन विषयों के आलावा और कुछ नहीं दिखाई देता है। स्वार्थी व्यक्ति को किसी में भी दोष नजर नहीं आता है। उसके लिए सभी एक जैसे हैं। इसलिए सज्जन व्यक्ति को स्वार्थी लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे लोगों का प्रभाव व्यक्ति की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जिससे कार्यक्षमता और नीयत दोनों पर प्रभाव पड़ता है।

    दह्यमानां सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना ।

    अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते ।।

    चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि दुष्ट और लालची व्यक्ति दूसरों की प्रगति देखकर हमेशा जलता है। वह स्वयं तो कभी उन्नति नहीं कर सकता, लेकिन दूसरों की उन्नति देखकर हमेशा निंदा करने लगता है। आचार्य चाणक्य ने इसलिए बताया है कि ऐसे व्यक्ति से हमेशा दूरी बना लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे सज्जन व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ उनके कार्यशैली में भी नकारात्मकता नजर आ सकती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।