Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा पर जरूर करें भगवान सत्यनारायण की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण तिथियों में से एक माना गया है। इस दिन पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा कराने का विधान है। भगवान सत्यनारायण प्रभु श्रीहरि के ही स्वरूप हैं जिसकी पूजा करने से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण (Satyanarayan Katha pujan) की पूजा व कथा कराना बहुत ही शुभ माना गया है। इसी के साथ किसी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण आदि में भी भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा करवाई जाती है। माना गया है कि इस कथा को सुनने मात्र से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
इस तरह करें सत्यनारायण पूजन (Satyanarayan Puja vidhi)
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर सत्यनारायण भगवान की तस्वीर स्थापित करें। चौकी के पास एक कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें और हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।
भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल-फूल, सुपारी आदि अर्पित करें। परिवार के साथ-साथ आसपास के लोगों व सगे-संबंधियों को बुलाकर सत्यनारायण की कथा सुनें। अंत में सत्यनारायण भगवान की आरती करें। सभी लोगों में कथा का प्रसाद बांटे और पंचामृत प्रसाद ग्रहण करके अपना उपवास खोलें।
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इन बातों का रखें ध्यान
पूर्णिमा के साथ-साथ किसी भी महीने की एकादशी और गुरुवार के दिन भी सत्यनारायण पूजा व कथा करवाना शुभ माना जाता है। इसी के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा तक उपवास रखना चाहिए। जब भी आप अपने घर में सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करें, तो उसमें ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को बुलाना चाहिए।
इसी के साथ सत्यनारायण भगवान की पूजा के दौरान हवन भी जरूर कराएं। उपवास खोलने के बाद भी सात्विक भोजन की करना चाहिए। इस शुभ दिन पर भूलकर भी तामसिक भोजन का सेवन भूलकर नहीं करना चाहिए, वरना आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
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