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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र में करें नौ देवियों के मंत्रों का जप, घर आएगी सुख-समृद्धि

    Updated: Thu, 27 Mar 2025 05:56 PM (IST)

    चैत्र माह में आने वाले नवरात्र को चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के नाम से जाना जाता है जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में माता रानी के अगल-अगल स्वरूपों की आराधना करने से साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। साथ ही सारे इच्छाएं भी पूरी होती हैं।

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    Chaitra Navratri 2025 Mantra (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र की अवधि माता रानी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही खास मानी गई है। ऐसे में भक्तों को नवरात्र का खास इंतजार रहता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है। इसमें भक्त नौ अगल-अगल दिनों तक देवी के नौ अगल-अगल रूपों की आराधना व व्रत करते हैं। ऐसे में आप मां दुर्गा की विशेष कृपा के लिए नवरात्र के नौ दिनों में नवदुर्गाओं के इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।

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    चैत्र नवरात्र की सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

    1. माता शैलपुत्री मंत्र

    नवरात्र के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना से साधक के विवाह में आ रही अड़चने भी दूर हो सकती हैं।

    (Picture Credit: Freepik)

    माता शैलपुत्री मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

    2. माता ब्रह्मचारिणी मंत्र

    दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा होती है। माता के इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या, और वैराग्य की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को ज्ञान, एकाग्रता, और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।

    (Picture Credit: Freepik)

    माता ब्रह्मचारिणी मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

    3. मां चन्द्रघण्टा मंत्र

    नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। मां चंद्रघंटा की पूजा साधक को समृद्धि मिलती है, बौद्धिक क्षमता का विकास होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

    मां चन्द्रघण्टा मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    4. मां कुष्मांडा मंत्र

    नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि देवी के इस स्वरूप की उपसना करने से साधक को आरोग्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

    मां कुष्मांडा मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

    यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025 Upay: नवरात्र में जरूर करें ये उपाय, मंगल दोष से मिलेगी राहत

    5. मां स्कंदमाता मंत्र

    नवरात्र के पांचवां मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की विधिवत रूप से पूजा करने से निःसंतान लोगों को संतान सुख मिल सकता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    मां स्कंदमाता मंत्र - या देवी सर्वभूतेषू मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

    6. मां कात्यायनी मंत्र

    नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही मां कात्यायनी की पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती है।

    मां कात्यायनी मंत्र - कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

    7. मां कालरात्रि मंत्र

    नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में मां काली की पूजा-अर्चना करने से किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है साथ ही अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहता।

    मां कालरात्रि मंत्र - ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।

    8. माता महागौरी मंत्र

    नवरात्र के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा होती है। मां पार्वती के इस स्वरूप की आराधना करने से साधक कई प्रकार की रोग व व्याधि से मुक्त हो सकता है। साथ ही देवी महागौरी ग्रह दोष से भी मुक्ति दिलाती हैं।

    (Picture Credit: Freepik)

    महागौरी मंत्र - या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

    9. मां सिद्धिदात्री मंत्र

    नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। मां सिद्धिदात्री को 8 सिद्धियां प्राप्त हैं। मान्यताओं के अनुसार, देवी के इस स्वरूप की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से साधक को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

    मां सिद्धिदात्री मंत्र - या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।