Chaitra Navratri 2025: इस आरती से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, प्रसन्न होंगी देवी
चैत्र नवरात्र मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025 Date) की नवमी तिथि आज यानी 6 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है तो आइए देवी की यहां विधिवत आरती करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा के मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन मां की विधिपूर्वक आरती करने से घर में खुशहाली आती है। मां सिद्धिदात्री की आरती में शामिल होने से जीवन में शुभता का आगमन होती है। कहते हैं कि माता रानी की आरती में भक्ति भाव से शामिल होना चाहिए। ऐसे में इस तिथि (Chaitra Navratri 2025 Day 9) पर सुबह स्नान के बाद देवी के सामने घी का दीपक जलाएं।
उनकी विधिवत पूजा व आरती करें। ऐसा करने से जीवन के सभी कष्टों का नाश होगा। इसके साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा, तो आइए यहां पढ़ते हैं।
पूजा मंत्र - ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Ki Aarti)
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में न कोई विधि है
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तू सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उस के रहे न अधूरे
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महानंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता।।
।।दुर्गा जी की आरती।। (Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी…
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी…
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी…
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी…
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी…
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी…
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मां दुर्गा की जय…मातारानी की जय…मां जगदम्बा की जय!
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