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Chaitra Navratri 2024:  चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं एक नहीं कई शुभ योग, जीवन पर पड़ेगा इसका चमत्कारी असर

चैत्र नवरात्र का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल को होगी। ऐसा माना जाता है कि जो साधक भाव के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें भगवती की कृपा प्राप्त होती है। आइए इस पर्व के दौरान बनने वाले शुभ संयोग के बारे में जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Thu, 28 Mar 2024 11:51 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2024 11:51 AM (IST)
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इस दिन का इंतजार देवी के भक्त बेसब्री के साथ करते हैं। मान्यताओं अनुसार, साधक देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए नौ दिनों तक का उपवास रखते हैं। ये नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा के लिए समर्पित हैं। ऐसा कहा जाता है जो भक्त इस दौरान भावपूर्ण देवी की उपासना करते हैं उन्हें मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

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चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

इस बार चैत्र नवरात्र पर एक नहीं कई शुभ संयोग बन रहे हैं। नवरात्र के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। प्रातः 7 बजकर 35 मिनट के बाद पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग रहेगा। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस बार की नवरात्र बहुत ही अद्भुत होने वाली है।

इस दिन होगी नवरात्र की शुरुआत

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल, 2024 को रात्रि 11 बजकर 51 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात्रि 8 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी।

चैत्र नवरात्र के नियम

चैत्र नवरात्र के दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। नवरात्र के प्रत्येक दिन से पूजा अनुष्ठान और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। पहले दिन लोग घटस्थापना करते हैं, जो मां दुर्गा के होने का प्रतीक और उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। व्रत के आठवें दिन कन्याओं की विशेष पूजा होती हैं, क्योंकि कन्याएं देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इसके बाद रामनवमी मनाई जाती है, इस दिन प्रभु राम की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त भाव के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें भगवती की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।  

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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