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    Chaitra Navratri 2024 Day 4: चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ 'भद्रावास' योग का हो रहा है निर्माण

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 11 Apr 2024 12:03 PM (IST)

    चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन कृतिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है। कृतिका नक्षत्र पड़ने वाले दिन मासिक कार्तिगाई मनाई जाती है।

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    Chaitra Navratri 2024 Day 4: चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ 'भद्रावास' योग का हो रहा है निर्माण

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 4: चैत्र नवरात्र के चौथे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु साधक व्रत-उपवास भी रखते हैं। शास्त्रों में मां कूष्मांडा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की है। इसके लिए मां कूष्मांडा को जगत जननी आदिशक्ति भी कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य लोक में हैं। मां कूष्मांडा के मुखमंडल पर तेजोमय आभा झलकती है। इस कांतिमय आभा से समस्त लोक प्रकाशवान होते हैं। मां की सवारी शेर है। मां कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं। धार्मिक मत है कि मां की उपासना करने वाले साधकों की हर मनोकामना पूरी होती है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ भद्रावास का योग बन रहा है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन कृतिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है। कृतिका नक्षत्र पड़ने वाले दिन मासिक कार्तिगाई मनाई जाती है।

    भद्रावास योग

    ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि भद्रा के स्वर्ग या पाताल लोक में गमन या इन दोनों लोकों में रहने के दौरान पृथ्वी के समस्त जीव, जंतु, पशु, पक्षी और मानव जगत का कल्याण होता है।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'