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    Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि पर 110 वर्षों के बाद बन रहा है अत्यंत दुर्लभ संयोग, मिलेगा पूजा का फल

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Mon, 20 Mar 2023 01:47 PM (IST)

    Chaitra Navratri 2023 हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह चैत्र नवरात्रि व्रत का शुभारंभ 22 मार्च 2023 बुधवार के दिन से हो रहा है। साथ ही इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं-

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    Chaitra Navratri 2023 चैत्र नवरात्रि पर बन रहा है अत्यंत शुभ योग, मिलेगा पूजा का फल

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च, बुधवार के दिन होगा। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ प्रमुख स्वरूपों की उपासना की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि में नवदुर्गा की उपासना करने से भी कष्ट व दुख दूर हो जाते हैं और साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। बता दें कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर अत्यंत दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है। विशेष बात यह है कि इस संयोग का निर्माण 110 वर्षों के बाद चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन पर हो रहा है। आइए जानते हैं।

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    चैत्र नवरात्रि 2023 महत्वपूर्ण जानकारी (Chaitra Navratri 2023 Shubh Muhurat)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 2023 रात्रि 09 बजकर 22 मिनट पर होगी और इसका समापन 06 बजकर 50 मिनट होगा। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का समय सुबह 06 बजकर 14 मिनट से सुबह 07 बजकर 55 मिनट के बीच रहेगा।

    अध्यात्मिक विद्वानों के अनुसार, इस वर्ष मां दुर्गा नौका पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगी। मां के इस सवारी को सुख-समृद्धि और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इस रूप में माता पूजा करने से साधकों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

    चैत्र नवरात्रि 2023 दुर्लभ संयोग (Chaitra Navratri 2023 Shubh Yog)

    ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर 110 वर्ष यानि करीब एक शतक बाद बृहस्पति और बुध ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस संयोग को शुभ माना जा रहा है। इसके साथ इस दिन सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक शुक्ल योग रहेगा और इसके बाद ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योग को भी बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस अवधि में पूजा-पाठ करने से साधकों को विशेष फल प्राप्त होता है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।