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    Chaitra Navratri 2023 Day 6: आज नवरात्रि महापर्व का छठा दिन, इस विधि से करें देवी कात्यायनी की उपासना

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Mon, 27 Mar 2023 09:26 AM (IST)

    Chaitra Navratri 2023 Day 6 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन माता कात्यायनी की पूजा का विधान है। इस विशेष दिन पर शुभ मुहूर्त में माता कात्यायनी की उपासना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है और उनकी सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

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    Chaitra Navratri 2023: चैत्र मास में छठे दिन इस विधि से करें माता कात्यायनी की उपासना।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023, Mata Katyayani Puja Vidhi and Mantra: आज यानि 27 मार्च 2023, सोमवार के दिन चैत्र नवरात्रि का छठा और महत्वपूर्ण व्रत रखा जा रहा है। आज के दिन देवी कात्यायनी की उपासना की जाती है। माता का स्वरूप अत्यंत मनमोहक है और मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से की गई इनकी उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। शास्त्रों मे बताया गया है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं माता कात्यायनी पूजा विधि भोग और मंत्र।

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    चैत्र नवरात्रि माता कात्यायनी पूजा शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Mata Katyayani Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 26 मार्च को दोपहर 03:02 पर शुरू होगी और इसका समापन 27 मार्च को दोपहर 03:57 पर होगा। आज 3 अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार चैत्र षष्ठी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा और रवि योग सुबह 06:16 से दोपहर 01:57 तक रहेगा और इसके बाद अमृत सिद्धि योग प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में इन शुभ योग में माता कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा।

    माता कात्यायनी स्वरुप (Mata Katyayni Roop)

    माता कात्यायनी का स्वरूप अमोघ फलदायिनी है। माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है और मां सिंह यानी शेर की सवारी करती हैं। माता कात्यायनी के चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक में तलवार दुसरे में कमल का पुष्प है। वहीं दूसरी भुजा के एक हाथ में वर और दूसरे हाथ में अभय मुद्रा है।

    चैत्र नवरात्रि माता कात्यायनी की पूजा विधि (Chaitra Navratri 2023 Mata Katyayani Puja Vidhi)

    चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और फिर कलश पूजन करें। कलश पूजा के बाद माता है कात्यायनी की उपासना विधिवत रूप से करें। माता को लाल फूल, अक्षत, कुमकुम व सिंदूर अर्पित करें और घी अथवा कपूर जलाकर माता कात्यायनी की आरती अवश्य करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी को लाल रंग बहुत प्रिय है, इसलिए इस दिन लाल रंग का वस्त्र पहनकर ही पूजन करें।

    चैत्र नवरात्रि माता कात्यायनी मंत्र (Mata Katyayani Mantra)

    ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।।

    माता कात्यायनी स्तोत्र (Mata Katyayani Stotra)

    कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

    स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते।।

    पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

    सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

    परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

    परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

    विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

    विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

    कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।

    कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता।।

    कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।

    कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा।।

    कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।

    कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी।।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।