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    Buddha Purnima 2025: आज है बुद्ध पूर्णिमा, जानिए पूजा विधि, चंद्रोदय समय और स्नान-दान मुहूर्त

    Updated: Mon, 12 May 2025 08:58 AM (IST)

    बुद्ध पूर्णिमा को सनातन धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। इस साल यह 12 मई यानी आज के दिन मनाई जा रही है। यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक है। वहीं इस दिन (Buddha Purnima 2025) भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार है।

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    Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा स्नान और दान समय।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुद्ध पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। यह बौद्ध धर्म के लोगों के लिए सबसे खास दिनों में से एक है। यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। पंचांग गणना के आधार पर इस साल यह पावन पर्व 12 मई, 2025 यानी आज मनाया जा रहा है, तो आइए इस दिन (Buddha Purnima 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    बुद्ध पूर्णिमा स्नान और दान समय (Buddha Purnima 2025 Snan-Daan Time)

    बुद्ध पूर्णिमा वरीयान योग पूरी रात रहेगा। रवि योग सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक था। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान-दान कर सकते हैं।

    चंद्रोदय समय - पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 05 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस समय आप च्रंदमा को अर्घ्य दे सकते हैं।

    पूर्णिमा पूजा विधि (Buddha Purnima 2025 Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
    • गंगाजल में जल डालकर स्नान करें।
    • भगवान सूर्य को सुबह और रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनके मंत्रों का जाप करें।
    • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और उनकी विधिवत पूजा करें।
    • ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और उन्हें क्षमता अनुसार, दान दें।
    • इस दिन किसी जरूरतमंद की मदद जरूर करें।
    • इस दिन दान और पुण्य जरूर करें।

    पूजा मंत्र (Buddha Purnima 2025 Puja Mantra)

    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
    • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
    • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
    • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।