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    Brahma Muhurat: नववर्ष के पहले ब्रह्म मुहूर्त में करें ये काम, सालभर नहीं होगी धन की कमी

    ब्रह्म मुहूर्त का शाब्दिक अर्थ है परमात्मा का समय। धार्मिक मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat ke Upay) में देवी-देवता धरती पर भ्रमण करते हैं। इसलिए इस समय को उनकी कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस समय में वातावरण में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो सेहत के लिए भी लाभकारी है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 25 Dec 2024 10:12 AM (IST)
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    Brahma Muhurat ब्रह्म मुहूर्त में करें इन मंत्रों का जप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat importance) को एक शुभ समय माना जाता है। इस मुहूर्त में किए गए अच्छे कर्मों का शुभ परिणाम प्राप्त होता है। सेहत की दृष्टि से भी इस समय में उठना भी काफी लाभकारी माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि साल के पहले ब्रह्म मुहूर्त में आप कौन-से कार्य कर सकते हैं, जिससे आपको साल भर आपको लाभ मिल सकता है।

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    साल के पहले ब्रह्म मुहूर्त का समय

    साल के पहले ब्रह्म मुहूर्त का समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है, जिसमें कुछ मंत्रों के जप से आपको विशेष लाभ मिल सकता है।

    ब्रह्म मुहूर्त का समय - सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक

    जरूर करें ये काम 

    ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति की हथेलियां में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए सुबह अपनी हथेली को देखते हुए इस मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से साधक पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।

    कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्'

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    करें इस मंत्र का जप

    ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान आदि करें। इसके बाद सुखासन में बैठकर अपनी आंखों को बंद करें और इस मंत्र का जप करें। मंत्र जप पूरा होने के बाद हाथ में थोड़ा-सा जल लेकर अपनी मनोकामना कहें और जल छोड़ दें। ऐसा करने से देवी-देवता आपसे प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।

    गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥

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    इन मंत्रों का भी कर सकते हैं जप

    गायत्री मंत्र -

    ॐ भूर्भुवः स्वः

    तत्सवितुर्वरेण्यं

    भर्गो देवस्यः धीमहि

    धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

    महामृत्युंजय मंत्र -

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।