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    Lord Brahma: आखिर कैसे हुई ब्रह्मा जी की उत्पत्ति? किस भाग से हुआ कौन-से पुत्र का जन्म

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Mon, 24 Jul 2023 02:09 PM (IST)

    Lord Brahma सनातन धर्म में भगवान ब्रह्मा एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक हैं जो सृष्टि के सृजन का कार्यभार संभालते हैं। सृष्टि के सृजन के लिए ही उन्होंने मानस पुत्रों को भी जन्म दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है खुद उनका जन्म कैसे हुआ।

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    Lord Brahma आखिर कैसे हई ब्रह्मा जी की उत्पत्ति?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Lord Brahma: सनातन धर्म में ब्रह्मा जी को सृष्टि के सृजनकर्ता के रूप में जना जाता है। वह त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश (भगवान शिव) में से एक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिदेव के पास सृष्टि के सृजन, संतुलन और विनाश करने का कार्यभार है। लेकिन आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि जिसने इस पुरी सृष्टि का सृजन किया है खुद उनका जन्म कैसे हुआ। आइए जानते हैं कि ब्रह्मा जी के जन्म को लेकर शिव पुराण में क्या कहा गया है। 

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    कैसे हुई ब्रह्मा जी की उत्पत्ति

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति क्षीरसागर में विराजमान भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल के द्वारा हुई थी। इसलिए वह स्वयंभू भी कहे जाते हैं। ब्रह्मा जी के 4 मुख होने के पीछे ये कारण बताया जाता है कि जब उनकी उत्पत्ति हुई तो उन्होंने अपने चारों और देखा जिस कारण उनके चार मुख हो गए।

    वहीं, शिवपुराण में कथा मिलती है कि एक बार ब्रह्मा जी अपने पुत्र नारद जी से कहते हैं कि विष्णु को उत्पन्न करने के बाद सदाशिव और शक्ति ने पूर्ववत प्रयत्न करके मुझे (ब्रह्माजी को) अपने दाहिने अंग से उत्पन्न किया और तुरंत ही मुझे विष्णु के नाभि कमल में डाल दिया। इस प्रकार उस कमल से पुत्र के रूप में मेरा जन्म हुआ।

    क्यों पड़ा ब्रह्मा नाम

    भारतीय दर्शन शास्त्र के अनुसार, जो निर्गुण (जो तीनों गुणों -सत्व, रज और तम से से परे हो) निराकार और सर्वव्यापी है वह ब्रह्म कहलाता है। इसलिए ये सभी गुण होने के कारण उन्हें ब्रह्मा नाम से पुकारा जाता है। साथ ही ब्रह्मा जी को स्वयंभू, विधाता, चतुरानन आदि नामों से भी जाना जाता है।

    ब्रह्मा जी के रोचक तथ्य

    ब्रह्मा जी ने अपने हाथों में क्रमशः वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद और कमण्डलु धारण किए हुए हैं। ब्रह्मा जी का वाहन हंस माना जाता है। ब्रह्मा जी की पत्नी का नाम सावित्रि है। देवी सरस्वती को उनकी पुत्री माना जाता है। भगवान विष्णु की प्रेरणा से देवी सरस्वती को ब्रह्मा जी ने ही सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान कराया था। सभी देवताओं को ब्रह्मा जी का पौत्र माना गया है। यही कारण है कि उन्हें पितामह भी कहा जाता है। ब्रह्मा जी देवता, दावन तथा समस्त जीवों के पितामह माने जाते हैं।

    ब्रह्मा जी के मानस पुत्र-

    शास्त्रों के अनुसार, सर्वप्रथम ब्रह्मा ने पृथ्वी सहित सारी सृष्टि की रचना की। तत्पश्चात उन्होंने जीव रचना के विषय में सोचा और तब उन्होंने अपने शरीर के अलग-अलग भागों से पुत्र उत्पन्न किए। यह सभी मानस पुत्र कहलाए।

    • मन से मारिचि
    • नेत्र से अत्रि
    • मुख से अंगिरस
    • कान से पुलस्त्य
    • नाभि से पुलह
    • हाथ से कृतु
    • त्वचा से भृगु
    • प्राण से वशिष्ठ
    • पांव के अंगूठे से दक्ष
    • छाया से कंदर्भ
    • गोद से नारद
    • इच्छा से- सनक, सनन्दन, सनातन, सनतकुमार
    • शरीर से शतरूपा, मनु
    • ध्यान से चित्रगुप्त

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'