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    Bhishma Ashtami 2025: कब मनाई जाएगी भीष्म अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 23 Jan 2025 07:31 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि माघ महीने (Bhishma Ashtami 2025) में गंगा स्नान करने और महादेव की पूजा करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। इस महीने में पितरों का तर्पण करने से साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। माघ महीने में प्रयागराज स्थित गंगा तट पर कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है।

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    Bhishma Ashtami 2025: भीष्म अष्टमी पर कैसे करें तर्पण?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल माघ महीने में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व महाभारत के महान पात्र या योद्धा भीष्म पितामह की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर बाणों की शैय्या पर विश्राम कर रहे भीष्म पितामह ने अपने प्राण का त्याग किया था। अतः हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है।

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    धार्मिक मत है कि माघ अष्टमी पर भीष्म पितामह के निमित्त पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति विशेष को शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन व्यक्ति अपने पितरों का भी तर्पण कर सकते हैं। इसे एकोदिष्ट श्राद्ध भी कहा जाता है। एकोदिष्ट श्राद्ध कोई भी व्यक्ति कर सकता है। एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए, अष्टमी मनाई की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं -

    यह भी पढ़ें: पितरों का तर्पण करते समय करें इस स्तोत्र का पाठ, पितृ दोष होगा दूर

    भीष्म अष्टमी शुभ मुहूर्त (Bhishma Ashtami Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 05 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगी। वहीं, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 06 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। उदया तिथि की गणना से 05 फरवरी को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक है।

    भीष्म अष्टमी शुभ योग (Bhishma Ashtami Shubh Yoga)

    भीष्म अष्टमी के दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का संयोग है। इस शुभ अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और भद्रावास का संयोग भी बन रहा है। इन योग में पितरों का तर्पण एवं एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

    पंचांग 

    • सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 04 मिनट पर
    • चंद्रोदय- सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर 
    • चंद्रास्त- देर रात 01 बजकर 30 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 01 मिनट से 06 बजकर 27 मिनट तक

    यह भी पढ़ें: क्या होता है एकोदिष्ट श्राद्ध और कैसे भीष्म पितामह से जुड़ा है कनेक्शन?

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।