Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bhai Dooj 2019 History and Importance: यमराज ने अपनी बहन यमुना को दिया था ये वरदान, तब से मनाते हैं भाई दूज

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 29 Oct 2019 08:18 AM (IST)

    Bhai Dooj 2019 History and Importance भाई दूज का इतिहास बहुत पुराना है जो मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है।

    Bhai Dooj 2019 History and Importance: यमराज ने अपनी बहन यमुना को दिया था ये वरदान, तब से मनाते हैं भाई दूज

    Bhai Dooj 2019 History and Importance: भाई दूज का पर्व दिवाली के दूसरे दिन यानी गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह 29 नवंबर को है। दरअसल भाई दूज का इतिहास बहुत पुराना है, जो मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है। यमराज हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं। वह उनको तिलक लगाकर भोजन कराती हैं। यमराज ने अपनी बहन को एक वरदान दिया था, जिसके कारण हर वर्ष भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज के पर्व पर जाते हैं यमराज और यमुना की पौराणिक कथा के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भाई दूज की कथा

    सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थींं। बेटा यमराज और बेटी यमुना। दोनों भाई बहन में बहुत प्रेम था। यमुना हर वर्ष अपने भाई यमराज से मिलने उनके घर जाती थीं, उनका कुशलक्षेम पूछती थीं। यमराज को वो अपने घर बुलाती थीं, लेकिन किन्हीं कारणों से वे नहीं जा पाते थे। एक बार यमराज बिना बताए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए।

    भाई को देखकर यमुना बेहद खुश हुईं। उन्होंने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। स्वादिष्ट भोजन कराए। यमराज ने भी यमुना को कई उपहार दिए। जब वे अपनी बहन के घर से चलने लगे तो प्रेमवश उन्होंने बहन से कोई एक वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने उनसे कहा कि आप हर वर्ष इस तिथि का मेरे घर आएंगे और भोजन करेंगे। इसी तर​ह जो भाई इस तिथि को अपनी बहन के घर जाएगा, तिलक लगवाएगा और भोजन करेगा। अपनी बहन को उपहार देगा, आप उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगे। इसके साथ ही आपका उसे कोई डर नहीं रहेगा।

    यमराज अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्होंने बहन को वो वरदान दे दिया। इसके बाद से हर वर्ष भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा।