Bhagavad Gita: भगवद गीता की इन बातों से दूर होगी मानसिक पीड़ा, मन होगा शांत
Bhagavad Gita भगवान कृष्ण ने तब-तब पृथ्वी पर अवतार लिया है जब-जब अंधकार से संसार में संकट आया है। उन्होंने हर बार अपने भक्तों की रक्षा करके खुद के होने का संकेत दिया है जिसका एक प्रमाण भगवद गीता है जिसमें भगवान कृष्ण (krishna) द्वारा दी गई शिक्षाओं का जिक्र है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Bhagavad Gita Quotes: भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो द्वापरयुग में सभी मनुष्यों के कल्याण और दुनिया से अधर्म को खत्म करने लिए प्रकट हुए थे। भगवान कृष्ण ने तब-तब पृथ्वी पर अवतार लिया है, जब-जब अंधकार से संसार में संकट आया है। उन्होंने हर बार अपने भक्तों की रक्षा करके खुद के होने का संकेत दिया है, जिसका एक प्रमाण भगवद गीता है, जिसमें भगवान कृष्ण (krishna) द्वारा दी गई शिक्षाओं का जिक्र है।
आज हम भगवद गीता से कुछ बातें आपके साथ साझा करेंगे, जो आपके कल्याण में सहायक होंगी। तो आइए जानते हैं-
- इस आत्म-विनाशकारी नरक के तीन द्वार हैं: काम, क्रोध और लालच। इन तीनो का त्याग करें।
- वह व्यक्ति मुझे प्रिय है, जो न सुख के पीछे भागता है, न दुःख से दूर भागता है, न शोक करता है, न वासना करता है, बल्कि चीजों को वैसे ही आने और जाने देता है।
- शांति, नम्रता, मौन, आत्म-संयम और पवित्रता ये मन के अनुशासन हैं।
- सच्चे बुद्धिमान लोग न तो जीवित लोगों के लिए शोक मनाते हैं, न ही उनके लिए जो मर चुके हैं।
- इंसान अपने विश्वास से बनता है, जो जैसा मानता है, वैसा ही होता है।
- मन ही मनुष्य का मित्र भी होता है और शत्रु भी।
- जो जन्मा है उसके लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि जो मर चुका है उसके लिए जन्म लेना निश्चित है। इसलिए जो अपरिहार्य है उसके लिए शोक मत करो।
- जो मनुष्य कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखता है, वह मनुष्यों में बुद्धिमान है।
- कृष्ण कहते हैं- 'अर्जुन, मैं शुद्ध जल का स्वाद और सूर्य और चंद्रमा की चमक हूं। मैं पवित्र शब्द और हवा में सुनाई देने वाली ध्वनि और मनुष्यों का साहस हूं। मैं मधुर सुगंध हूं। पृथ्वी और अग्नि की चमक, मैं हर प्राणी में जीवन हूं और आध्यात्मिक साधक का प्रयास हूं।'
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