चारों पीठों के प्रमुख शंकराचार्य होते हैं
चार में तीन पीठ पर विवाद है। कहीं परंपरा का उल्लंघन हो रहा है तो कहीं पद पर एक से अधिक का दावा है।
उज्जैन। आद्य शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा और प्रसार के लिए देश की चार दिशाओं में चार पीठ की स्थापना की थी। चारों पीठों के प्रमुख शंकराचार्य होते हैं। सनातन धर्म के इन प्रमुख पदों को लेकर वर्तमान में जो स्थिति है, वह हैरान करने वाली है। चार में तीन पीठ पर विवाद है।
कहीं परंपरा का उल्लंघन हो रहा है तो कहीं पद पर एक से अधिक का दावा है। लंबे समय से इस पद को शीर्षस्थ धर्मगुरु के रूप में देखने वाले सनातन धर्मावलंबी पसोपेश में हैं कि वे किसे असली मानें। यह स्थिति क्यों बनी और मूल पीठों में क्या है विवाद, नईदुनिया की खास रिपोर्ट...
शारदा मठ, द्वारका: टूट रही संप्रदाय की परंपरा
दिशा : पश्चिम
पारंपरिक संप्रदाय : तीर्थ और आश्रम
विवाद : वर्तमान में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 79वें शंकराचार्य के रूप में गद्दी पर आसीन। दशनामी में वे सरस्वती संप्रदाय से हैं जबकि इस पीठ पर तीर्थ और आश्रम संप्रदाय के शंकराचार्य की परंपरा रही है।
ज्योतिर्मठ, बदरिका : तीन दावेदार आमने-सामन
दिशा : उत्तर
पारंपरिक संप्रदाय : गिरि,पर्वत व सागर
विवाद : इस मठ पर स्वरूपानंदजी, वासुदेवानंदजी और माधवाश्रमजी शंकराचार्य होने का दावा करते हैं।
मामला कोर्ट भी पहुंचा। कोर्ट ने स्वरूपानंद के पक्ष में फैसला दिया है।
गोवर्धन मठ, पुरी : दोनों दूसरे संप्रदाय के
दिशा : पूर्व
पारंपरिक संप्रदाय : अरण्य
विवाद : स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ इस मठ के शंकराचार्य होने का दावा करते हैं। हालांकि दोनों ही पारंपरिक संप्रदाय से नहीं हैं। निश्चलानंद, सरस्वती और अधोक्षजानंद, देवतीर्थ संप्रदाय से हैं।
श्रृंगेरी मठ, रामेश्वरम् : यही पीठ जिसमें विवाद नहीं
दिशा : दक्षिण
पारंपरिक संप्रदाय : सरस्वती,
भारती व पुरी
वर्तमान हाल : इस पीठ पर स्वामी भारतीकृष्ण 36वें शंकराचार्य हैं। यहां कोई विवाद नहीं है।
(स्रोत: मठान्मय ग्रंथ और संतों से चर्चा के आधार पर)
(नोट : नईदुनिया ने इन सवालों को लेकर सभी शंकराचार्यों से भी चर्चा का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो पाई।)
आद्य शंकराचार्य ने स्थापित किए थे ये पीठ
1. शारदा मठ, द्वारका
2. श्रृंगेरी मठ, रामेश्वरम्
3. गोवर्धन मठ, पुरी
4. ज्योतिर्मठ, बदरिका
सनातन धर्म के लिए मदद तो गलत बात नहीं देश में सिर्फ आद्य गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ ही हैं। शेष को मान्यता नहीं दी जा सकती। हालांकि इस पर कोई एतराज भी नहीं है। सनातन धर्म की रक्षा और प्रसार के लिए कोई मददगार है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। - अधोक्षजानंद सरस्वती, शंकराचार्य, पुरी पीठ