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    Basant Panchami 2022: जानिए, पौराणिक मान्यता क्यों करतें हैं बसंत पंचमी पर कामदेव का पूजन

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 05 Feb 2022 04:55 PM (IST)

    Basant Panchami 2022 माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता कामदेव के पूजन का भी विधान है। आइए जानते हैं बंसत पंचमी के दिन कामदेव के पूजन के पीछे क्या है पौराणिक मान्यता...

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    Basant Panchami 2022: जानिए, पौराणिक मान्यता क्यों करतें हैं बसंत पंचमी पर कामदेव का पूजन

    Basant Panchami 2022: माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती का आभिर्भाव हुआ था। इसलिए इस दिन उनके पूजन का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के पूजन से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो भी लोग साहित्य, कला, संगीत के क्षेत्र से जुड़े हैं, इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती का पूजन करते हैं। इसके साथ ही बसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता कामदेव के पूजन का भी विधान है। आइए जानते हैं बंसत पंचमी के दिन कामदेव के पूजन के पीछे क्या है पौराणिक मान्यता....

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    बसंत पंचमी पर कामदेव का क्यों करते हैं पूजन –

    हिंदू धर्म में का कामदेव को प्रेम का देवता माना जाता है। मान्यता है कि धरती पर सभी प्रणियों में प्रेम और उन्माद की उत्पत्ति कामदेव और उनकी पत्नी रति के नृत्य से होती है। जो कि इस धरा पर संतति की उत्पत्ति का आधार है। इसके साथ ही बसंत पचंमी के दिन को बसंत ऋतु के आगमन होता है। लोग शीत ऋतु का आलस्य और शिथिलता त्याग कर प्रेम और उन्माद से प्रफुल्लित होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं। उनके आगमन से ही धरा पर बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसी कारण बसंत पंचमी पर कामदेव के पूजन का विधान है।

    कौन है काम देव और रति –

    पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र हैं। उन्हें काम,वासना, प्रेम और उन्माद का देवता माना जाता है। मान्यता है कि उनके नृत्य और संगीत से ही सभी जीव-जंतुओं में प्रेम और काम भावना का संचांर होता है। जो कि पृथ्वी पर संतिति निर्माण का आधार है। कथा के अनुसार कामदेव और रति ने ही माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव के वैराग्य को तोड़ा था। जिससे क्रोधित हो कर भगवान शिव नें कामदेव को भस्म कर दिया था। लेकिन उनके वरदान से कामदेव का पुनर्जन्म द्वापर युग में श्री कृष्ण के पुत्र के प्रद्युम्न के रूप में हुआ था।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'