Eid Al- Adha 2022: आज मनाया जाता रहा है बकरीद का पर्व, जानिए महत्व और इतिहास
Eid al-Adha 2022 ईद के करीब 70 दिनों के बाद ईद अल-अजहा या बकरीद का पर्व मनाया जाता है। बकरीद को इस्लामिक कैलेंडर के बारहवें और आखिरी महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। इस बार भारत में 10 जुलाई 2022 को मनाई जा रही है।

नई दिल्ली, Bakra Eid 2022: इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद का पर्व आज मनाया जा रहा है। बकरीद को ईद-उल-अजहा नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बकरीद का पर्व त्याग और कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है। बकरीद मनाने के पीछे का कारण हजरत इब्राहिम माने जाते हैं। जानिए बकरीद का धार्मिक महत्व के साथ इतिहास।
किस तरह निकाली जाती है बकरीद की तारीख
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, बारहवें महीने में ज़ु अल-हज्जा की 10 तारीख को बकरीद का त्योहार मनाया जाता है जो ईद उल फितर से लगभग 70 दिनों के बाद होती है। वहीं बकरीद होने के 10 दिन पहले चांद के दीदार करने के बाद इस तारीख का ऐलान किया जाता है।
बकरीद का इतिहास
इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेना चाहिए और उनसे ख्वाब के माध्यम से कहा कि वह सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दे दें। ऐसे में हजरत इब्राहिम अपने इकलौते बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। क्योंकि वहीं एक चीज थी जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करते थे। ऐसे में जब हज़रत इब्राहीम अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला। उसने उन्हें ऐसा करने से रोकते हुए कहा कि बेटे की कुर्बानी कौन देता है, इसकी जगह आप चाहे तो किसी जानवर को कुर्बानी दे सकते हैं। शैतान की इस बात को हज़रत इब्राहीम को सही समझा। लेकिन वह अपने अल्लाह से झूठ नहीं बोलना चाहते थे और न ही उनके हुक्म की नाफरमानी करना चाहते थे। इसलिए वे बेटे को लेकर आगे बढ़ गए। बेटे की कुर्बानी देते समय उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की मांग को पूरी करने के बीच में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही जानवरों की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।
ईद उल-अजहा या बकरीद पर ऐसे अदा करें नमाज़
इस्लाम समुदाय के लोग बकरीद के दिन सूर्योदय के बाद और जुहर की नमाज से पहले ईद उल-अजहा की नमाज अदा कर सकते हैं। ईद अल-अजहा की नमाज़ में दो रकात होती हैं, जिसमें पहली रकात में सात बार तकबीर और दूसरी में पांच बार तकबीर पढ़ी जाती है। ईद की नमाज़ के लिए कोई भी अज़ान नहीं दी जाती है, बस तय वक्त में सभी लोग आकर नमाज़ अदा करते हैं।
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