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बजरंगबली की माता अंजना को दुर्वासा ऋषि ने वानरी होने का शाप दिया था

भगवान श्रीराम के भक्त हनुमानजी उनके भाई की तरह हैं। इसके पीछे पौराणिक मत है। जिसका प्रमाण है गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 'श्रीरामचरितमानस' में मिलता है। यह प्रमाण एक पौराणिक कथा के रूप में उल्लेखित है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 01:29 PM (IST)
बजरंगबली की माता अंजना को दुर्वासा ऋषि ने वानरी होने का शाप दिया था

भगवान श्रीराम के भक्त हनुमानजी उनके भाई की तरह हैं। इसके पीछे पौराणिक मत है। जिसका प्रमाण है गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 'श्रीरामचरितमानस' में मिलता है। यह प्रमाण एक पौराणिक कथा के रूप में उल्लेखित है।

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लेकिन बजरंगबली के 5 सगे भाई भी थे। पांचों विवाहित थे, इस बात का विस्तार से उल्लेख 'ब्रह्मांडपुराण' में मिलता है। जहां बजरंगबली के पिता केसरी के वंश का वर्णन है। पांचों भाईयों में बजरंगबली सबसे बड़े थे। यानी हनुमानजी को शामिल करने पर वानर राज केसरी के 6 पुत्र थे।

जब कि उनके बाद क्रमशः मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान थे। इन सभी की संतान भी थीं। जिससे इनका वंश वर्षों तक चला। हनुमानजी के बारे जानकारी वैसे तो रामायण, श्रीरामचरितमानस, महाभारत और भी कई हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलती है।

लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी भी बातें हैं जो बहुत कम धर्म ग्रंथों में उपलब्ध है 'ब्रह्मांडपुराण' उन्हीं में से एक है। इसी ग्रंथ में उल्लेख है कि बजरंगबली के पिता केसरी ने अंजना से विवाह किया था। केसरी वानर राज थे।

कौन थीं अंजना ?

हिंदू पौराणिक ग्रंथों में माता अंजना के बारे में लिखा है कि वह पहले पहले इन्द्र की सभा में पुंजिकस्थली नाम की अप्सरा थी। जब दुर्वासा ऋषि भी इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तो वह बार-बार भीतर आ-जा रही थी। इससे रुष्ट होकर ऋषि ने उसे वानरी हो जाने का शाप दे डाला।

जब उसने बहुत अनुनय-विनय की, तो उसे इच्छानुसार रूप धारण करने का वर मिल गया। इसके बाद गिरज नामक वानर की पत्नी के गर्भ से इसका जन्म हुआ और अंजना नाम पड़ा। फिर वानर राज केसरी नाम के वानर से इनका विवाह हुआ और पुत्र के रूप में उन्होंने महाबलशाली और भगवान शिव के रुद्र रूप हनुमानजी को पुत्र रूप में पाया।


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