Bail Pola 2022: बैल पोला पर्व आज, जानिए महत्व और मनाने का तरीका
Bail Pola 2022 पोला का त्योहार को बैल पोला मोठा पोला और तनहा पोला जैसे नामों से जानते हैं। यह पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। जानिए बैल पोला पर्व के बारे में सबकुछ
नई दिल्ली, Bail Pola 2022: देश में, खासकर महाराष्ट्र में धूमधाम से बैल पोला पर्व मनाया जाता है। दो दिवसीय इस पर्व में बैल की पूजा करने का विधान है। महाराष्ट्र में ये पर्व सावन मास की पिथौरी अमावस्या पर पड़ता है। इस दिन, किसान खेत-खलिहान में मदद करने के लिए अपने मवेशियों की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र में अविश्वसनीय खुशी के साथ मनाया जाता है और इसेपोला मराठी त्योहार के रूप में जाना जाता है।
रखंड, कर्नाटक में पोला का त्योहार भाद्रपद की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इसे पिठोरी अमावस्या, कुशग्रहणी, कुशोत्पाटिनी के नाम से भी जानते हैं।
पोला का त्योहार को बैल पोला, मोठा पोला और तनहा पोला जैसे नामों से जानते हैं। यह पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही बच्चे के लिए मिट्टी या लकड़ी का घोड़ा बनाया जाता है जिसे लेकर वह घर-घर जाते हैं और उन्हें पैसे या फिर गिफ्ट्स मिलते हैं।
पोला पर्व मनाने का कारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु से कृष्ण अवतार लेकर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था। जब इसे बारे में कंस को पता चला, तो उसने कान्हा को मारने के लिए अनेकों असुर भेजे थे। इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर। राक्षस पोलासुर ने अपनी लीलाओं से कान्हा ने वध कर दिया था। कान्हा से भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोला सुर का वध किया था। इसी कारण इस दिन पोला कहा जाने लगा। इसी कारण इस दिन बच्चों का दिन कहा जाता है।
इस तरह मनाते है बैल पोला पर्व
पोला पर्व के एक दिन भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है। इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है। जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं।
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