Kalashtami 2025: अगस्त महीने में कब है कालाष्टमी? यहां पता करें शुभ मुहूर्त और योग
हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा एवं भक्ति की जाती है। भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी दुखों का अंत होता है। इस दिन ही भाद्रपद माह की कालाष्टमी (Kalashtami 2025) मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा एवं साधना की जाती है। इसके साथ ही विशेष कामों में सिद्धि पाने के लिए साधक व्रत रख काल भैरव देव की साधना करते हैं।
धार्मिक मत है कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। आइए, अगस्त माह की कालाष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 16 अगस्त को रात 09 बजकर 34 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है। इसके लिए 16 अगस्त को भाद्रपद माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 11 बजकर 19 मिनट से लेकर 12 बजकर 03 मिनट तक है।
कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद माह की कालाष्टमी पर वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। वृद्धि योग सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। ध्रुव योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 03 बजकर 45 मिनट से 04 बजकर 29 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट से 06 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 19 मिनट से 12 बजकर 03 मिनट तक
पूजा विधि
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर सुबह सूर्योदय से पहले उठें। अब काल भरैव देव को ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इस समय सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें।
तंदोपरांत, पंचोपचार कर देवों के देव महादेव की भक्ति भाव से पूजा करें। देवों के देव महादेव को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें। पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ और मंत्र का जप करें। वहीं, संध्याकाल में भगवान शिव जी की आरती करें। आरती के बाद भगवान शिव से सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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