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    Ardhnarishwar Avatar: भगवान शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर अवतार, हमारे और आप से जुड़ा है कारण

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 07 Mar 2021 07:11 AM (IST)

    Ardhnarishwar Avatar महाशिवरात्रि का पावन पर्व आ रहा है ऐसे में हम आपके लिए भगवान शिव से संबंधित महत्वपूर्ण कथाएं लेकर आ रहे हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको भगवान शिव के अर्धनारीश्वर अवतार के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    Ardhnarishwar Avatar: भगवान शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर अवतार, हमारे और आप से जुड़ा है कारण

    Ardhnarishwar Avatar: महाशिवरात्रि का पावन पर्व आ रहा है, ऐसे में हम आपके लिए भगवान शिव से संबंधित महत्वपूर्ण कथाएं लेकर आ रहे हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको भगवान शिव के अर्धनारीश्वर अवतार के बारे में बताने जा रहे हैं। आखिर भगवान शिव ने यह अवतार क्यों लिया? इसकी वजह हमारे और आप से जुड़ी हुई है, तो आइए पढ़ते हैं अर्धनारीश्वर अवतार की कथा।

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    शिवपुराण में वर्णित सतरुद्रसं​हिता के अनुसार, सृष्टि के आदि में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की रची हुई सारी प्रजाएं विस्तार प्राप्त नहीं कीं, तब वे काफी दुखी हो गए। उसी समय आकाशवाणी हुई। ब्रह्मन्! अब मैथुनी सृष्टि की रचना करो। इस आकाशवाणी को सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि की रचना में स्वयं को असमर्थ पाया। तब उनके मन विचार आया कि वे भगवान शिव की कृपा के बिना मैथुनी प्रजा उत्पन्न नहीं कर सकते। तब वे तप करने लगे। कुछ समय बाद शिवजी प्रसन्न होकर पूर्ण सच्चिदानंद की कामदा मूर्ति में प्रवेश कर गए और अर्धनारीश्वर स्वरूप में ब्रह्मा जी के समक्ष प्रकट हो गए।

    ईश्वर ने कहा कि तुम्हारा सारा मनोरथ उनको ज्ञात है। वह तुम्हारे तप से प्रसन्न हैं। तुम्हारी कामना पूर्ण होगी। यह कहकर भगवान शिव ने अपने शरीर से देवी शिवा को अलग कर दिया। तब ब्रह्मा जी उस परम शक्ति से प्रार्थना करने लगे कि हे शिवे! हे मात:! चराचर जगत् की वृद्धि के लिए आप मुझे नारी कुल की सृष्टि के लिए शक्ति प्रदान करें। माते! मैं आप से एक और वरदान चाहता हूं कि आप अपने सर्व समर्थ रूप से मेरे पुत्र दक्ष की पुत्री रुप में जन्म लें। भगवती ​शिवा ने तथास्तु ऐसा ही होगा, कहकर वह शक्ति ब्रह्मा जी को प्रदान कर दी।

    इस तरह से देवी शिवा ब्रह्मा जी को अनुपम शक्ति प्रदान करके शिव जी के शरीर में प्रवेश कर गईं। तभी से इस लोक में स्त्री की कल्पना हुई और मैथुनी सृष्टि की रचना हुई।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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