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    Annapurna Jayanti 2025: अन्नपूर्णा जयंती में न करें ये गलतियां, रूठ सकती हैं माता लक्ष्मी

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 01:52 PM (IST)

    अन्नपूर्णा जयंती  (Annapurna Jayanti 2025) 4 दिसंबर 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है, जो देवी पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है। इस दिन उनक ...और पढ़ें

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    Annapurna Jayanti 2025: अन्नपूर्णा जयंती के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Annapurna Jayanti 2025: अन्नपूर्णा जयंती का पर्व 04 दिसंबर 2025 यानी आज मनाया जा रहा है। यह दिन साक्षात् देवी पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है। मां अन्नपूर्णा, जो अन्न और समृद्धि की देवी हैं, उनकी कृपा से ही हमारे घर के भंडार भरे रहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। हालांकि, इस पवित्र दिन कुछ गलतियां (Worship Mistakes) करने से भी बचना चाहिए, आइए उनके बारे में जानते हैं।

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    अन्नपूर्णा जयंती में भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां (Don't Make These 5 Mistakes On Annapurna Jayanti)

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    अन्न का अपमान

    अन्नपूर्णा जयंती के दिन भोजन बर्बाद करना या थाली में झूठा भोजन छोड़ना सबसे बड़ी गलती मानी जाती है। अन्न का अपमान साक्षात् मां अन्नपूर्णा का अपमान है। इस दिन थाली में उतना ही भोजन लें, जितना आप खा सकें। भोजन शुरू करने से पहले देवी का धन्यवाद जरूर करें।

    रसोई को गंदा रखना

    इस दिन रसोई को अशुद्ध या गंदा न रखें। चूल्हे और बर्तनों को भी साफ रखें। पूजा से पहले पूरे रसोईघर की अच्छे से साफ-सफाई करें। इस दिन अपवित्रता से दूरी बनाए रखें।

    खाली पात्रों को खुला रखना

    पूजा से पहले ही घर के सभी अनाज के पात्रों को भर लें। उन पर हल्दी-कुमकुम लगाएं और उन्हें ढंक कर रखें। इस दिन अनाज के बर्तनों को खुला और खाली रखने से गरीबी आती है।

    कठोर या कटु वचन बोलना

    इस शुभ दिन पर घर में किसी से झगड़ा, कठोर वचन बोलना या किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसे में घर में शांति और सकारात्मक माहौल बनाए रखें। इस दिन दान-पुण्य (Prosperity Rituals) पर ध्यान दें और मन को शांत रखें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी खुश होकर घर में वास करती हैं।

    तामसिक भोजन करना

    अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्याज, लहसुन, मांस या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह सात्विक रहना चाहिए। रसोई में केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ही पकाएं। भगवान को भोग लगाने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।