जाने कौन से हैं अमरनाथ यात्रा के पांच प्रमुख पड़ाव
आजकल चल रही अमरनाथ धाम की पवित्र यात्रा कर्इ महत्वपूर्ण पड़ावों से होकर गुजरती है। आइये जाने इनमें से पांच महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में।
नंदी का धाम पहलगाम
कहते हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया। पौराणिक कथाआें के अनुसार जब भगवान शिव अमरनाथ गुफा जा रहे थे तो उन्होंने अपनी सभी प्रिय चीजों और गणों का त्याग कर दिया था। इसमें उन्होंने सबसे पहले अपने प्रिय वाहन नंदी बैल का त्याग किया। शिव चाहते तो दुर्गम रास्ते पर नंदी को सबसे बाद में भी छोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने सबसे पहले नंदी को छोड़ा। तब से ये स्थान पहलगांव के नाम से प्रसिद्घ हुआ, इसे पहले बैलगांम भी कहते थे।
चंद्रमा को समर्पित चंदनवाड़ी पड़ाव की कथा
पहलगाम के बाद अगला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं। यहां शिवजी ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनबाड़ी कहलाती है। वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि यहां भोलेनाथ ने माथे के चंदन को उतारा था।
गणेश का पड़ाव महागुणा पर्वत
इसके बाद का पड़ाव गणेश पड़ता है, इस स्थान पर शंकर जी ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था। इसको महागुणा का पर्वत भी कहा जाता है। शेषनाग जिसके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं, में रात्रि विश्राम के बाद यात्री महागुनस चोटी की और बढ़ते हैं। इसे महागणेश भी कहते हैं। यह चोटी 4200 मीटर से भी ज्यादा ऊंची है। असल में यह दर्रा है। इस दर्रे को पार करके हम जैसे एक दूसरी दुनिया में ही पहुंच जाते हैं।
गंगाजी पंचतरणी में
इसके पश्चात शिव जी ने गंगाजी को पंचतरणी में छोड़ दिया। शेषनाग से पंचतरणी आठ मील के फासले पर है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणा दर्रे को पार करना पड़ता हैं, जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई क्रमश: 13,500 फुट आैर 14,500 फुट है। महागुणा चोटी से पंचतरणी तक का सारा रास्ता उतराई का है। यहां पांच छोटी-छोटी नदियां बहने के कारण ही इस स्थल का नाम पंचतरणी पड़ा है।
पिस्सू घाटी
चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग में अगला पड़ाव है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला और खतरनाक है। यहीं पर पिस्सू घाटी के दर्शन होते हैं। अमरनाथ यात्रा में पिस्सू घाटी काफी जोखिम भरा स्थल है। पिस्सू घाटी समुद्रतल से 11,120 फुट की ऊंचाई पर है। इस घाटी में शिवजी ने पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया था। इस प्रकार महादेव ने जीवनदायिनी पांचों तत्वों कोअपने से अलग कर दिया। इसके बाद मां पार्वती साथ उन्होंने गुप्त गुफा में प्रवेश कर किया और अमर कथा मां पार्वती को सुनाना शुरू किया।