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    अष्टसिद्धि, नव निधि के दाता है बजरंगबली, हनुमान चालीसा का ये दोहा बना देगा सारे काम

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 09:19 PM (IST)

    हनुमान जी को साहस शक्ति भक्ति और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है भगवान शिव के 11 में रुद्र अवतार बजरंगबली अनजाने मारुति और संकट मोचन के नाम से भी जाने जाते हैं। वह कष्टों को दूर करने वाले हैं। हनुमान चालीसा इसका वर्णन किया गया है। 

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    हनुमान चालीसा में 40 छंद हैं। 

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो पूरी हनुमान चालीसा ही हनुमान जी के शक्तियों और उनके द्वारा दिए जाने वाले आशीर्वाद से भरपूर है। मगर, इसका एक दोहा ऐसा है, जो आपके सभी कष्टों को हर लेगा। सभी तरीके के सुख से आपको भर देगा।

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    हनुमान चालीसा में 40 छंद हैं। इसके अलावा दो दोहे शुरुआत में है और हनुमान चालीसा के अंत में एक दोहा है इस प्रकार इसमें कुल 43 छंद हैं। ‌यदि हनुमान चालीसा को समझकर उसका पाठ किया जाए, तो हनुमान जी की विशेष कृपा और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    हनुमान जी को शनिदेव ने भी वरदान दिया था कि जो भी उनकी शरण में होगा, वह उसे कभी कोई कष्ट नहीं देंगे। साहस की मूर्ति, भगवान की भक्ति में प्रथम हनुमान जी ऐसी कोई चीज नहीं है, जो अपने भक्त को नहीं दे सकते हैं।

    hanuman ji

    माता सीता ने दिया था ये वरदान

    हनुमान चालीसा के पाठ में आप पढ़ेंगे कि उनको यह वरदान मिला है कि वह अष्ट सिद्धि यानी आठ प्रकार की सिद्धियां और नवनिधि यानी नौ प्रकार के वैभव को देने वाले हैं। यह वरदान उन्हें माता सीता ने दिया था।

    इसलिए सभी को हर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इस पाठ को करने से भय से मुक्ति मिलती है। नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। रोग और शत्रु आस-पास भी नहीं भटक पाते हैं।

    मगर, यदि आप पूरी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते हैं, तो आप सिर्फ पहला दोहा ही पढ़ लें। वह दोहा सब तरीके की समस्याओं से आपको उबार सकता है। वह होदा है…

    श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
    बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरां पवनकुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।।

    इस दोहे का अर्थ जानिए 

    मैं अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने हृदय रूपी दर्पण को स्वच्छ करके भगवान राम के निर्मल यश का वर्णन कर रहा हूं, जो चार कामनाओं को पूरा करने वाले हैं। मैं स्वयं को बुद्धिहीन जानकर पवन कुमार हनुमान जी को याद करता हूं कि वह मुझे बल, बुद्धि, विद्या दें और मेरे शरीर के सारे कष्टों और विकारों को दूर करें।

    अब आप समझिए कि इस दोहे में अपने बजरंगबली से क्या-क्या मांग लिया। आपने उनसे बल मांग लिया यानी साहस में आपका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। बुद्धि और विद्या मांग ली, जिसे आप हर तरीके की परेशानियों से उबार सकते हैं।

    अपने सारे शरीर के कष्टों और परेशानियों को दूर करने का आशीर्वाद भी उनसे मांग लिया। यदि यह सारी चीज आपके पास में है, तो आपको कोई कष्ट नहीं होगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।