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    Aaj ka Panchang 22 January 2025: बुधवार पर बन रहे हैं कई शुभ योग, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

    आज यानी 22 जनवरी को बुधवार का व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से रुके हुए काम पूरे होते हैं। आज यानी माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कई शुभ योग (Today Shubh Yog) बन रहे हैं तो चलिए पंचांग (Aaj ka Panchang 2025) से जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।

    By Jagran News Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 22 Jan 2025 09:47 AM (IST)
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    Aaj ka Panchang 22 January 2025 पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज यानी 22 जनवरी को है। इस तिथि पर बुधवार पड़ रहा है। सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। बुधवार पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में चलिए पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।

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    आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 22 January 2025)

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 52 मिनट पर

    चंद्रोदय- 23 जनवरी को रात में 01 बजकर 36 मिनट पर

    चंद्रास्त- सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर

    वार - बुधवार

    ऋतु - शिशिर

    यह भी पढ़ें: Budhwar Ke Upay: बुधवार के दिन इन कार्यों को न करें अनदेखा, वरना बढ़ जाएंगी मुश्किलें

    शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक

    अशुभ समय

    राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 01 बजकर 53 मिनट तक

    गुलिक काल - सुबह 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक

    दिशा शूल - उत्तर

    नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल - अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद

    राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर

    इन मंत्रो का करें जप

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

    4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    6. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

    7. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।