Aaj ka Panchang 17 January 2025: आज है सकट चौथ, पढ़ें दैनिक पंचांग और शुभ मुहूर्त
धार्मिक मत है कि सकट चौथ के दिन शिव परिवार की पूजा करने से साधक को मनचाहा वर मिलता है। साथ ही कुंडली में शुभ ग्रह मजबूत होते हैं। वहीं अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होता है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 17 January 2025) जानते हैं-

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी शुक्रवार 17 जनवरी को सकट चौथ और लंबोदर संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक अपने घर पर विधिवत भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रख रहे हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। इस योग में शिव परिवार की पूजा करने से साधक पर भगवान गणेश की कृपा बरसेगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 17 January 2025)
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 48 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 09 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 09 बजकर 32 मिनट पर
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 02 बजकर 59 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - सुबह 11 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 53 मिनट तक
दिशा शूल - पश्चिम
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो सकट चौथ पर्व पर सौभाग्य और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही मघा और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का भी संयोग है। वहीं, बव एवं बालव करण के शुभ संयोग हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।
इन मंत्रो का करें जप
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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