Aaj ka Panchang 17 February 2025: फाल्गुन सोमवार पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, पढ़ें पंचांग
सनातन धर्म में फाल्गुन महीने का खास महत्व है। यह महीना पूर्णतया देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। फाल्गुन महीने में ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। भगवान शिव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 17 फरवरी को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस योग में महादेव की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही महादेव की कृपा बरसेगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 17 February 2025)
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 13 मिनट पर
चन्द्रोदय- रात 10 बजकर 32 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 09 बजकर 21 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 16 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक
विजया मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 13 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 10 मिनट से 05 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - देर रात 12 बजकर 09 मिनट से देर रात 01 बजे तक...
राहुकाल - सुबह 08 बजकर 22 मिनट से 09 बजकर 46 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 02 बजे से 03 बजकर 24 मिनट तक
दिशा शूल - पश्चिम
ताराबल
भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन
भगवान शिव के मंत्र
1. ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
2. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
3. शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
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