Aaj Ka Panchang 09 February 2025: आज है प्रदोष व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त और पढ़ें दैनिक पंचांग
पंचांग के अनुसार आज माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रात्रि 07 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 09 February 2025) और राहुकाल का समय जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Month Pradosh Vrat 2025 Aaj Ka Panchang 09 February 2025: आज प्रदोष व्रत का व्रत रखा जा रहा है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (09 February Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 09 February 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रात्रि 07 बजकर 31 मिनट तक रहेगी।
ऋतु - शिशिर
चन्द्र राशि - मिथुन
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 02 बजकर 54 मिनट पर
चन्द्रास्त - रात 05 बजकर 36 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
त्रिपुष्कर योग - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - 05 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 07 बजकर 58 मिनट से 09 बजकर 34 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 10 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - दोपहर 04 बजकर 47 मिनट से शाम 06 बजकर 10 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से 04 बजकर 47 मिनट तक।
दिशा शूल - पश्चिम
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद।
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर।
भगवान शिव पूजन मंत्र
1. ऊँ नमः शिवाय॥
2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
3. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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