Aaj ka Panchang 04 February 2025: नर्मदा जयंती पर बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, पढ़ें दैनिक पंचांग
धार्मिक मत है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 04 February 2025) जानते हैं-

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी मंगलवार 04 फरवरी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी है। यह दिन मां नर्मदा को समर्पित होता है। इस दिन बड़ी संख्या में साधक श्रद्धा भाव से नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही स्नान-ध्यान के बाद मां नर्मदा की पूजा कर रहे हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर कई योग बन रहे हैं। इन योग में स्नान-ध्यान कर भगवान शिव एवं मां नर्मदा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 04 February 2025)
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 03 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 23 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजे से 06 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से 04 बजकर 41 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 01 बजकर 57 मिनट तक
दिशा शूल - उत्तर
ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ
सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली
सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।
पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।
इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।
वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।
कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।
कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।
संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।
कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।
वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।
भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।
स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।
अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।
मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।
द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।
देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।
एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।
नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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