Aaj Ka Panchang 02 May 2025: वैभव लक्ष्मी व्रत पर रवि योग समेत बन रहे हैं कई शुभ योग, पढ़ें दैनिक पंचांग
आज का शुक्रवार धृति योग के प्रभाव में है जो आत्मिक प्रेरणा से भरा हुआ है। यह दिन न्यायपूर्ण निर्णयों और स्थिर कार्यों के लिए अच्छा है जहां दिल और दिमाग संतुलित रहते हैं। आइए एस्ट्रोपत्री से आज का पंचांग और राहुकाल (Aaj ka Panchang 02 May 2025) जानते हैं-
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang 02 May 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 02 मई यानी आज वैभव लक्ष्मी व्रत है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जा रही है। साधक सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रख रहे हैं। इस व्रत को करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से आय और सौभाग्य में बढ़ोतरी होगी। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा साधक पर बरसेगी। आइए, वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त एवं योग (02 May 2025 Panchang) जानते हैं-
शुक्र ग्रह
शुक्रवार का स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो प्रेम, सौंदर्य और सामंजस्य का प्रतीक है। वहीं, मिथुन राशि में स्थित चंद्रमा आपकी सोच को लचीलापन देता है और आपको यह सिखाता है कि चुनौतियों को कैसे अवसरों के साथ संतुलन में लाया जाए। विचार और भावना का यह मेल आज के दिन को खास बनाएगा।
शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आज सुब 09 बजकर 14 मिनट तक है। इसके बाद वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं। वहीं, संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।
सर्वार्थ सिद्धि योग
वैभव लक्ष्मी व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग रात भर है। वहीं, समापन 03 मई को होगा। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
रवि योग
वैशाख माह की षष्ठी तिथि पर रवि योग का भी संयोग है। रवि योग का संयोग दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से है। वहीं, समापन 03 मई को होगा। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
नक्षत्र एवं चरण
वैभव लक्ष्मी व्रत पर आर्द्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। आर्द्रा नक्षत्र दोपहर 01 बजकर 04 मिनट तक है। इसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बालव एवं कौलव करण के योग हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
विक्रम संवत्: 2082
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 57 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर
चन्द्रास्त - देर रात 12 बजकर 12 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दिन में 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 17 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक
अशुभ समय
गुलिक काल- सुबह 07 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 59 मिनट तक
राहु काल- सुबह 10 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12बजकर 18 मिनट तक
यमगंडा - दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शाम 05 बजकर 17 मिनट तक
दिशा शूल - पश्चिम
लक्ष्मी मंत्र
1. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः॥
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
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