जानें काबा की बनावट क्यों है ऐसी
सऊदी अरब में स्थित काबा मक्का एक क्यूब के आकार की इमारत है। ये इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है। यह भवन इब्राहीम के समय में खुद इब्राहिम ने बनाया था जो अबतक की सबसे पुरानी निर्मित इमारत है।
इसलिए सबसे खास है काबा
इस भवन के आसपास एक मस्जिद-अल-हरम है। पूरी दुनिया के सभी मुसलमान चाहें वे कहीं भी हो नमाज के समय अपना मुँह काबा की ओर ही रखते हैं। हज तीर्थयात्रा के दौरान भी मुस्लिमों को तवाफ नामक महत्वपूर्ण धार्मिक रीत पूरी करने का निर्देश है जिसमें काबे की सात परिक्रमाएँ की जाती हैं। हदीस में यह भी जिक्र है कि मुहम्मद साहब अपनी बीबी से कहते हैं कि वह काबे को वही शक्ल देना चाहते हैं जिस शक्ल में हजरत इब्राहिम ने उसे बनाया था। लेकिन उन्होंने अपने दिल की बात इसलिए नहीं मानी क्योंकि लोग अब काबे की उसी बनवट में विश्वास रखने लगे थे जैसा वह आज दिखता है।
खुदा का घर है काबा
खुदा ने जब हजरत इब्राहिम से उनके बेटे की कुर्बानी मांगी और उन्होंने बिना हिचके कुर्बानी दे दी हलांकि खुदा ने उनके बेटे की जगह जानवर को बदल दिया था इसलिए उनके बेटे की कुर्बानी नहीं हुई। खुदा ने इब्राहिम और ईस्माइल को अपना पैगंबर बना लिया और उनसे अपने लिए एक घर बनाने का हुक्म दिया। खुदा का हुक्म मानकर हजरत इब्राहिम और ईस्माइल ने खुदा के जिस घर का निर्माण करवाया। खुदा का वह घर काबा कहलाया। मुस्लिम धर्म ग्रंथ कुरान में बताया गया है कि हर मुसलमान को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा जरुर करनी चाहिए।
खुदा के कहने पर हुआ था काबा का निर्माण
काबा मक्का में ही स्थित है। काबा खुदा का घर माना जाता है। काबा जहां पर है वह पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु है। इस्लामिक विषयों के जानकर रामीश सिद्दीकी काबा के बारे में बात करते हुए कई और रहस्य से पर्दे उठा रहे हैं। रामीश सिद्दीकी बताते हैं कि मक्का में आज हज यात्री जिस काबे की तवाफ करते हैं वह अपने शुरुआती दिनों में वैसा नहीं था जैसा आज दिखता है। हजरत इब्राहिम ने इसे कुछ और शक्लो सूरत में बनाया था। हदीस में उल्लेख है कि जब खुदा के कहने पर हजरत इब्राहिम और उनके बेटे ईस्माइल ने खुदा का घर बनवाया तो वह आयताकार था। लेकिन काबे का कई बार पुनर्निर्माण हुआ और इस क्रम में इसका आकार बदलकर वर्गकार हो गया है।
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