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    माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर

    By Edited By:
    Updated: Fri, 19 Oct 2012 12:03 PM (IST)

    फतेहगढ़ साहिब में खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी का मंदिर है, जो माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर के नाम प्रसिद्ध है। इसमें भारत के कोने-कोने से जैन श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

    फतेहगढ़ साहिब। फतेहगढ़ साहिब में खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी का मंदिर है, जो माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर के नाम प्रसिद्ध है। इसमें भारत के कोने-कोने से जैन श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

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    श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी कर बच्चों के मुंडन व नामकरण आदि करवाने के लिए यहां पहुंचते है। जैन समुदाय में मान्यता है कि जो कोई भी माता के दरबार में सच्चे मन से पुत्र प्राप्ति की कामना करता है, मां उसकी कामना अवश्य पूरी करती है। यह मंदिर पुत्र रत्‍‌न प्राप्ति के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में बना माता रानी का अमृत कुंड भी माता का ही चमत्कार है। अष्ट भुजाओं वाली माता चक्रेश्वरी देवी अपनी दाहिनी चार भुजाओं में वाहन, बाण, च्रक तथा वात्सल्यनमी आशीष तथा बाई भुजाओं में धनुष, वज्र, चक्र व अंकुश धारण किए हुए हैं। दोनों हाथों में चक्र होने के कारण ही माता का नाम चक्रेश्वरी देवी पड़ा। दशहरे के तीन दिनों बाद आने वाले वार्षिक उत्सव में भारत के विभिन्न प्रदेशों से हर वर्ष भारी संख्या में जैनी माता के दरबार में अपना शीश झुकाने पहुंचते हैं।

    बताया जाता है कि महाराजा पृथ्वी राज चौहान के शासनकाल में एक यात्री संघ महम से कांगड़ा तीर्थ की यात्रा पर निकला था। आज का सरहिंद तब सींहनद था। यहां पहुंचकर यह संघ तीन दिन के लिए रुका था। संघ के साथ एक बैलगाड़ी में प्रभु आदिनाथ की अधिष्ठायत्री माता चक्त्रेश्वरी देवी की प्रतिमा लेकर चल रहे थे। लेकिन मंदिर वाले स्थान पर पहुंच लाख प्रयास करने के बावजूद बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। जब भक्तजनों ने प्रार्थना की तो आकाश में एक च्योति पुंज दिखाई दिया और आकाशवाणी हुई कि यह मेरा स्थान है। मैंने यहीं पर निवास करना है। इस पर सबने मिट्टी के एक छोटे भवन का निर्माण किया, जिसमें माता की वह प्रतिमा स्थापित कर दी। यात्रियों में अधिकांश खंडेलवाल जैन ही थे। आज भी खंडेलवाल जैनी माता को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हैं। मंदिर में बना माता रानी का अमृत कुंड भी माता की ही चमत्कार है। कहा जाता है कि शुरू में इस मंदिर के नजदीक पीने योग्य पानी उपलब्ध नही था, जिससे यात्रियों को परेशानी होती थी। एक दिन भजन कीर्तन में मग्न एक छोटी बच्ची ने माता से पानी के लिए प्रार्थना की। तभी भक्तजनों ने देखा कि लड़की के पांव के पास ही एक झरना फूट पड़ा। वही झरना अब अमृत कुंड के नाम से जाना जाता है तथा आज भी भक्त इसी अमृत कुंड के पवित्र पानी को गंगाजल समान मान अपने घरों को ले जाते है।

    माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर में पहुंचने के लिए ट्रेन से सरहिंद पहुंचना पड़ता है। यहां से मंदिर से के लिए थ्रीव्हीलर से यात्री माता के मंदिर में पहुंचते हैं।

    [अशोक धीमान]

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