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    84 lakh yonia: जानिएं 84 लाख योनियां कौन-कौन सी हैं, मनुष्य योनि को क्यों माना गया है सर्वश्रेष्ठ

    By Jagran NewsEdited By: Suman Saini
    Updated: Thu, 01 Jun 2023 10:01 AM (IST)

    पद्म पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक पुराण ग्रंथ है। पद्म पुराण में यह माना गया है कि हर प्राणी को उसके कर्म के अनुसार ही अगला जन्म मिलता है। व्यक्ति के उच्च कर्म ही उसे इन जन्म चक्र से मुक्त कर सकते हैं।

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    84 lakh yonia 84 लाख योनियां कौन-कौन सी हैं।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। 84 lakh yonia: हिंदू धर्म में यह माना गया है कि पृथ्वी पर 84 लाख योनियां हैं। पद्म पुराण में इसका वर्णन मिलता है। आइए जानतें है कि ये 84 लाख योनियां कौन-कौन सी हैं।

    किस श्लोक में मिलता है वर्णन

    पद्म पुराण के वर्णित एक श्लोक के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि 84 लाख योनियां कौन-कौन सी हैं?

    जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यक:।

    पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशव:, चतुर लक्षाणी मानव:।।

    क्या है श्लोक का अर्थ

    इस श्लोक में बताया गया है कि 9 लाख योनियां जल में रहने वाले जीवों-जंतुओं की हैं। 10 लाख योनियां आकाश में उड़ने वाले पक्षियों की हैं। 30 लाख योनियां भूमि पर रहने वाले जीवों की हैं। पद्म पुराण के श्लोक के अनुसार, 11 लाख योनियां कीड़े-मकौड़ों की हैं। 20 लाख योनियां पेड़-पौधों की हैं। शेष अन्य 4 लाख योनियां मनुष्य की हैं।

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    मनुष्य की योनि में कब मिलत है जन्म

    4 लाख बार आत्मा, मनुष्य योनि में जन्म लेती है। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद ही मनुष्य को पितृ या देव योनि प्राप्त होती है। जब आत्मा मनुष्य योनि में आकर नीच कर्म करने लगता है तो उसे पुन: नीचे की योनियों में जन्म मिलने लगता है, जिसे वेद-पुराणों में दुर्गति कहा गया है। 

    मनुष्य योनि को क्यों माना गया है सर्वश्रेष्ठ

    सभी योनियों में से मानव योनि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि 52 अरब वर्ष एवं 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव शरीर मिलता है। इसलिए मानव तन को दुर्लभ माना जाता है। क्योंकि इतनी योनियों में एक मनुष्य योनि ही है जिसमें विवेक जैसा दुर्लभ गुण पाया जाता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'