यज्ञ का अर्थ श्रेष्ठ काम होता है
आचार्या सुखदेव ने कहा कि यज्ञ का अर्थ श्रेष्ठ काम होता है। यजुर्वेद कर्म का वेद है तथा वेद भगवान का आदेश है। यज्ञ से सुकर्म करने की शिक्षा मिलती है ता ...और पढ़ें

सोनीपत। आचार्या सुखदेव ने कहा कि यज्ञ का अर्थ श्रेष्ठ काम होता है। यजुर्वेद कर्म का वेद है तथा वेद भगवान का आदेश है। यज्ञ से सुकर्म करने की शिक्षा मिलती है ताकि विश्व को श्रेष्ठ बनाते हुए सभी का कल्याण किया जा सके।
वे बुधवार को आर्य समाज खन्ना कालोनी व लाजपत नगर में वार्षिकोत्सव व यजुर्वेद पारायण महायज्ञ के तहत आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु अपनी पूजा से नहीं, बल्कि जीवां की सेवा करने से प्रसन्न होते हैं। हम सभी उसके बच्चे हैं। डा. महावीर मुमुक्ष ने कहा कि मनुष्य कर्मशील तथा भोगशील है। मनुष्य सुकर्मों द्वारा इस संसार को स्वर्ग मय बना सकता है। समस्त जीव आहार, निद्रा, भय , बुद्धि, बल से संसार का श्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। अपने श्रेष्ठ गुणों से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करता है और प्रभु का प्रिय बन सकता है।
इस अवसर पर सभा प्रधान सुरेंद्र खुराना, रोहताश खोखर, विद्यावती खोखर, हरिचंद स्नेही, नित्यप्रिय आर्य, सुदर्शन आर्य, दिनेश आर्य, दीपा आर्य, कौशल्या अरोड़ा, परमानंद बेधड़क, दयालचंद आर्य, सेवा राम मनचंदा, मास्टर मनोहर लाल चावला, दिनेश आर्य, सुरेश बत्रा, वेदवती खोखर, सुभाष, राजेंद्र बत्रा, अर्जुन देव दुरेजा, ज्ञानेश्वर त्यागी, दुर्गा देवी, वर्षा रेलन, प्रीतम हसीजा, जवाहर लाल बत्रा, मांगेराम, मूलचंद वर्मा, वीर सैन आदि मौजूद रहे।
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