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    145 महिला अवधूत बनीं महिला संन्यासिन

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    Updated: Thu, 14 Feb 2013 04:39 PM (IST)

    जूना अखाड़ा ने बुधवार को 145 महिला अवधूतों को संन्यास आश्रम की दीक्षा दी। गंगा तट पर महिलाओं ने अवधूतों की तरह पूरे संस्कार का पालन करते हुए पहले सिर के बाल साफ करा दिए।

    कुंभ नगर। जूना अखाड़ा ने बुधवार को 145 महिला अवधूतों को संन्यास आश्रम की दीक्षा दी। गंगा तट पर महिलाओं ने अवधूतों की तरह पूरे संस्कार का पालन करते हुए पहले सिर के बाल साफ करा दिए। हाथ में दंड लेकर दिन भर गंगा तट पर बैठी रहीं। सबने अपना पिंडदान भी किया। वैसे महिलाएं अपना पिंडदान नहीं करती हैं लेकिन संन्यास ग्रहण करने के लिए यह जरूरी प्रक्रिया है। महिला अवधूतों ने अपने साथ पूर्वजों समेत सगे संबंधियों का भी पिंडदान कर दिया। गंगा में डुबकी मारी और भस्म शरीर पर मला। देर शाम कतार में सब अपने शिविर में लौट आई। रात्रि में जूना अखाड़े में नए सिरे से फिर संस्कार प्रक्रिया शुरू हुई। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने रात्रि में आठ बजे से सबको ग्रुपों में विरजाहोम कराया। उन्हें नए भगवा वस्त्र पहने को दिए गए। फिर सबको मंत्र देकर दीक्षित किया गया। संन्यासिनी अखाड़े की प्रमुख महंत देव्या गिरि ने बताया कि पूरी प्रक्रिया अवधूतों को जैसे संन्यासी बनाने की है वही इसमें हैं।

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    500 अवधूत बने संन्यासी-

    निरंजनी अखाड़े ने बुधवार को 500 अवधूतों को संन्यास दिलाया। अखाड़े के अंदर इनका मुंडन हुआ। फिर गंगा तट पर सबने पिंडदान किया। शाम को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पुण्यानंद गिरि ने सबको दीक्षित किया। वसंत पंचमी के शाही स्नान पर सब नागा के रूप में संगम में डुबकी लगाएंगे।

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