Yogini Ekadashi 2020: आज है योगिनी एकादशी, जानें-भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत महत्व
Yogini Ekadashi 2020 धार्मिक ग्रंथों में एकादशी की महत्ता को बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अगहन माह में शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता उपदेश दिया है।
Yogini Ekadashi 2020: नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी 17 जून को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती को बुरे से बुरे पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भौतिक जीवन में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। आइए, इस व्रत की पूजा शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में जानते हैं-
योगिनी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त
इस बार योगिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल है। इसके बाद व्रती चौघड़िया तिथि देखकर पूजा आराधना कर सकते हैं। योगिनी एकादशी की तिथि 16 जून को ब्रह्म बेला में 5 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 17 जून को 7 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
योगिनी एकादशी व्रत महत्व
धार्मिक ग्रंथों में एकादशी की महत्ता को बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अगहन माह में शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता उपदेश दिया है। अतः एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्रती को हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्रती के सभी दुःख, दर्द, कष्ट और क्लेश दूर हो जाते हैं।
योगिनी एकादशी पूजा विधि
इस व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है। इस दिन व्रती को लहसुन, प्याज और तामसी भोजन का परित्याग कर देना चाहिए। निशाकाल में भूमि पर शयन करना चाहिए। एकादशी को ब्रह्म बेला में उठकर सर्वप्रथम अपने आराध्य देव को स्मरण और प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए। तत्पश्चात, आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा, फल, फूल, दूध, दही, पंचामृत, कुमकुम, तांदुल, धूप-दीप आदि से करें। दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार पानी ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-प्रार्थना के बाद फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।