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    Padmini Ekadashi 2023: पद्मिनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sat, 29 Jul 2023 10:41 AM (IST)

    Padmini Ekadashi 2023 त्रेता युग में माहिष्मती नरेश कृतवीर्य एवं रानी पद्मिनी ने एकादशी का व्रत रख विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की थी। इस व्रत के पुण्य प्रताप से उन्हें विष्णु के मानस प्रपोत्र भगवान कार्तवीर्य अर्जुन पुत्र रूप में प्राप्त हुआ था। अतः पद्मिनी एकादशी पर मन में श्रद्धा भाव रख विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करनी चाहिए।

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    Padmini Ekadashi 2023: पद्मिनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Padmini Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी पड़ती है। इस प्रकार, आज पद्मिनी एकादशी है। एकादशी तिथि पर पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से सुख, समृद्धि और वंश में वृद्धि होती है। त्रेता युग में माहिष्मती नरेश कृतवीर्य एवं रानी पद्मिनी ने एकादशी का व्रत रख विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की थी। इस व्रत के पुण्य प्रताप से उन्हें विष्णु के मानस प्रपोत्र भगवान कार्तवीर्य अर्जुन पुत्र रूप में प्राप्त हुआ था। अतः पद्मिनी एकादशी पर मन में श्रद्धा भाव रख विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करनी चाहिए। इससे साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पद्मिनी एकादशी पर इस विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें। आइए जानते हैं-

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    पूजा विधि

    दैनिक कार्यों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

    गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

    नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

    स्नान कर पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण कर आचमन करें। इसके लिए हथेली में जल रख तीन बार ग्रहण करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

    ‘ॐ केशवाय नम:

    ॐ नाराणाय नम:

    ॐ माधवाय नम:

    ॐ हृषीकेशाय नम:

    इन मंत्रों को पढ़ने के बाद अंगूठे से मुख पोछ लें। अंत में 'ॐ गोविंदाय नमः' मंत्र बोलकर अपने हाथ धो लें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इस समय सूर्य मंत्र का उच्चारण करें।

    ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।

    अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।

    ऊँ सूर्याय नम:,

    ऊँ आदित्याय नम:,

    ऊँ नमो भास्कराय नम:।

    अर्घ्य समर्पयामि।।

    इस प्रकार, प्रारंभिक पूजा करें। तदोउपरांत, पूजा गृह में एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब सबसे पहले शंख में जल रख भगवान विष्णु को अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर भगवान विष्णु की पूजा पीले रंग के फल, फूल, धूप, दीप, दूर्वा, अक्षत, चंदन, हल्दी से करें। केसर मिश्रित खीर भगवान को भोग में अर्पित करें। इस समय विष्णु चालीसा, स्तुति, स्तोत्र का पाठ और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में शुद्ध घी के दीपक जलाकर आरती करें।

    आरती के समय सुख, समृद्धि, वंश और धन में वृद्धि की कामना करें। पूजा समाप्त होने के बाद गरीबों को यथा शक्ति तथा भक्ति भाव से दान दें। दिनभर उपवास रखें। आप चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती अर्चना कर फलाहार करें। इसके पश्चात, भजन कीर्तन करें। एकादशी रात्रि पर जागरण का विधान है। अतः जितना संभव हो सके, रात में जाग कर हरि नाम का जाप करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'