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    जानें क्‍यों करनी चाहिए बृहस्‍पतिवार की पूजा और व्रत

    By Molly SethEdited By: Molly Seth
    Updated: Sat, 01 Dec 2018 10:00 AM (IST)

    बृहस्‍पतिवार को भगवान विष्‍णु और बृहस्‍पति गुरू की पूजा की जाती है। आइये जाने क्‍यों करनी चाहिए ये पूजा और क्‍या होते हैं इस व्रत के लाभ। ...और पढ़ें

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    मिलते हैं अनेक लाभ

    बुधवार का अक्षय तृतीया को भी भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। इसदिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र धारण करा कर स्‍थापित किए जाते हैं और हल्दी, चावल से विधि पूर्वक पूजन किया जाता है। शेष समय में गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है। इस दिन गुरू भगवान और विष्‍णु जी की पूजा और व्रत करने से ऋण मुक्ति, शीघ्र विवाह और संपत्ति प्राप्‍ति होती है। बृहस्पति देव को बुद्धि का कारक भी माना गया है अत: इस पूजा से ज्ञान में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि विष्‍णु जी की पूजा से मनाकामनायें पूर्ण होती हैं और अच्‍छा स्‍वास्‍थ भी प्राप्‍त होता है।  

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    ऐसे करें पूजा

    इस दिन केले के पेड़ की पूजा करना अच्छा माना जाता है। गुरुवार के दिन पूजा और व्रत रखने वालों को पीले वस्त्र धारण कर के सुबह उठकर बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए। पूजा में पीली वस्तुएं जैसे पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ा का प्रयोग किया जाता है। इस व्रत में केले के पेड़ की पूजा की पूजा का सर्वाधिक महत्‍व होता है। पूजा के बाद बृहस्‍पतिवार की कथा का श्रद्धा पूर्वक पाठ करना चाहिए। इससे मनोकामना की पूर्ति होती है। इसके लिए कन्याओं को भोजन कराएं, पीली चुनरी या पीला रुमाल भेंट करें। अच्‍छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख शांति के लिए विष्‍णु जी को चने की दाल चढ़ाई जाती है। यदि विवाह में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो गुरुवार का व्रत करना चाहिए और विष्‍णु जी को जुड़े हुए फल चढ़ायें, साथ ही कर्ज से मुक्‍त होने के लिए आम लगे हुए आम के बौर से पूजा करें। 

    गुरू गृह को ऐसे करें मजबूत

    गुरु ग्रह को सुदृढ़ करने के लिए इन आसान उपायों का पालन करें। 

    1. सबसे पहले गुरुवार का व्रत रखें। इस दिन पीले वस्त्र पहनें और बिना नमक का पीला ही भोजन करें जैसे बेसन के लड्डू, आम बेसन की रोटी आदि। 

    2. गुरु बृहस्पति की पंचोपचार से पूजा करें। इसमें केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें। अंत में वृहस्‍पति भगवान की आरती करें।

    3. गुरु मंत्र - 'ॐ बृं बृहस्पते नम' का जाप कम से कम 108 बार करें।

    4. पीली वस्तुओं का दान करें।